देशभर में टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं. नतीजतन, टमाटर कई लोगों की पहुंच से बाहर है. वहीं कुछ रसोईघरों में टमाटर की जगह पर इमली का इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन अब इसकी भी कीमतों में टमाटर के साथ बढ़ोतरी देखी जा रही है. शुक्रवार, 21 जुलाई 2023 को कर्नाटक के बेंगलुरु में जहां प्रति किलो टमाटर की कीमत 110 रुपये और 11,000 रुपये प्रति क्विंटल थी, जबकि प्रति किलो इमली की कीमत 180 रुपये और 18,000 रुपये प्रति क्विंटल थी. हालांकि, बाजार में इमली की कीमत बढ़ने से किसान खुश नहीं हैं.
किसानों का कहना है कि दाम बढ़ने से सिर्फ आढ़तियों को ही फायदा हो रहा है. वहीं कम कीमतों, प्रोसेसिंग लागत की अधिकता, मजदूरों की समस्या, तकनीक की कमी और अन्य कारणों के कारण, तुमकुरु, कोलार और चिक्कबल्लापुर में इमली उत्पादक पेड़ों को उखाड़ रहे हैं और अन्य व्यावसायिक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.
मालूम हो कि इमली की खेती कर्नाटक के मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों, जैसे- तुमकुरु, कोलार, चिक्काबल्लापुर और रामानगर में की जाती है. हालांकि, इस फसल की तुड़ाई और प्रोसेसिंग किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है. इमली की तुड़ाई और प्रोसेसिंग के लिए कोई तकनीक नहीं है और किसान ये सभी काम मैन्युअल रूप से कर रहे हैं.
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वहीं, यहां के किसानों को मजदूरों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है और इमली की कटाई में मजदूरी भी महंगी है. वे तुड़ाई के लिए प्रति मजदूर प्रति दिन लगभग 1,000 रुपये और सहायकों और इकट्ठा के लिए 500 रुपये का भुगतान करते हैं. नतीजतन, अधिकांश किसान इमली के पेड़ पट्टे पर दे रहे हैं. वहीं कीमत उपज के आधार पर तय की जाएगी.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, कोलार जिले के प्रगतिशील किसान टोटली रमेश ने कहा, “पहले, इमली के सीजन में, बिचौलिए तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से कोलार आते थे. लेकिन, हाल के दिनों में उन राज्यों के बिचौलियों की संख्या में गिरावट आई है. तुड़ाई और प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक मजदूरों की समस्या और लागत में अधिकता के कारण, हम प्रत्येक इमली के पेड़ को बिचौलियों को 1,500 से 2,000 रुपये में पट्टे पर देते हैं.
चिक्काबल्लापुरा जिले के एक अन्य किसान राघवेंद्र ने कहा, "इमली एक मौसमी फसल है और इमली के फल को संरक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है. अवैज्ञानिक ढंग से संरक्षित करने से रंग पर असर पड़ेगा और बाजार में मांग कम हो जायेगी. वहीं, इमली जैसी बागवानी फसलों को संरक्षित करने के लिए कोई कोल्ड स्टोरेज यूनिट नहीं हैं. इसलिए, हमारे जिले के अधिकांश किसानों ने इमली के पेड़ उखाड़ दिए हैं और अन्य व्यावसायिक फसलों की ओर ट्रांसफर हो गए हैं."
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कर्नाटक का तुमकुरु जिला प्रमुख इमली उत्पादक जिलों में से एक है, यहां 6,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर इमली की खेती की जाती है. हालांकि, कीमतों में गिरावट, मजदूरों की कमी और अन्य समस्याओं के कारण, किसान अपनी भूमि से इमली के पेड़ों को हटा रहे हैं और सुपारी की खेती कर रहे हैं.
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