‘अंडा हो या चिकन, पोल्ट्री प्रोडक्ट उत्पा़दन के मामले में भारत किसी से कम नहीं है. तीन-चार ही ऐसे देश हैं जो अंडा और चिकन उत्पादन के मामले में भारत से आगे हैं. इतना ही नहीं छह-सात फीसद के रेट से उत्पादन भी लगातार हर साल बढ़ रहा है. लेकिन एक्सपोर्ट के मामले में हम बहुत पीछे हैं. इसकी एक सबसे बड़ी वजह है कि जब कभी एवियन इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी पोल्ट्री फार्म में आती है तो विदेशी खरीदार पीछे हट जाते हैं. चिकन के मुकाबले अंडा तो बड़ी संख्या में एक्सपोर्ट हो रहा है.
लेकिन उसके मुकाबले चिकन की मात्रा बहुत ही कम है. हालांकि पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की कोशिशों के चलते अब कुछ रास्ता दिखाई देने लगा है. देश के कई हिस्सों को अभी बीमारी रहित घोषित किया गया है. मंत्रालय की अभी ये कोशिश जारी है.’ ये कहना है पं. दीनदयाल उपाध्याय वेटरनरी साइंस यूनिवर्सिटी (दुवासु), मथुरा, उत्तर प्रदेश के डीन डॉ. पीके शुक्ला का.
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डीन डॉ. पीके शुक्ला ने किसान तक को बताया कि पोल्ट्री प्रोडक्ट ही नहीं किसी भी तरह के आइटम को जब एक्सपोर्ट करने की बात की जाती है तो सबसे पहला सवाल आता है उसकी क्वालिटी का. और खाने के मामले में तो गुणवत्ता का स्तर और भी ज्यादा सख्त हो जाता है. इसलिए अंडा हो या चिकन, अगर हम उसे एक्सपोर्ट करना चाहते हैं तो हमे उसकी गुणवत्ता पर पूरा ध्यान देना होगा. और गुणवत्ता तब आएगी जब हमारे पोल्ट्री फार्म बीमारियों से दूर रहेंगे.
इस दिशा में पशुपालन मंत्रालय लगातार काम कर रहा है. हाल ही में देश के 29 कंपार्टमेंट जोन को बीमारी रहित घोषित किया गया है. अब यहां बीमारी रहित अंडा और चिकन का उत्पादन होगा. इस प्रोडक्ट को एक्सपोर्ट करने में भी परेशानी नहीं आएगी.
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डीन डॉ. पीके शुक्ला ने बताया कि तमाम बड़े देशों समेत ज्यादा देश अपने कुछ पोल्ट्री प्रोडक्शन का 10 फीसद हिस्सा इंटरनेशनल मार्केट में एक्सपोर्ट करते हैं. लेकिन हमारे यहां के पोल्ट्री सेक्टर पर ये बात लागू नहीं होती है. क्योंकि पोल्ट्री प्रोडक्ट एक्सपोर्ट के नाम पर हमारे यहां से कुछ देशों को अंडे भेजे जाते हैं. साथ ही पड़ोसी देशों में थोड़ी मात्रा में चिकन एक्सटपोर्ट किया जाता है. लेकिन अगर पोल्ट्री फार्म संचालक भी बीमारी रहित कंपार्टमेंट जोन बनाने पर काम करें तो एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सकता है.
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