केंद्र सरकार प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्सों) के कार्यक्षेत्र का दायरा बढ़ाते हुए उर्वरकों की खुदरा बिक्री के साथ-साथ इन्हें कई अन्य अधिकार भी देने जा रही है. इससे इनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. साथ ही किसानों को उर्वरकों के साथ कीटनाशकों, बीजों और कृषि मशीनरियां आदि स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो सकेंगी. वहीं हाल ही में केंद्र सरकार ने देशभर के दो हजार पैक्सों को जन औषधि केंद्र खोलने की मंजूरी दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'सहकार से समृद्धि' के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख एस मांडविया के साथ नई दिल्ली में हुई बैठक में पैक्सों के अधिकार क्षेत्र में बढ़ोतरी का फैसला किया गया है. देश में लगभग एक लाख पैक्स कार्यरत हैं. फैसले के अनुसार मैपिंग के आधार पर उर्वरकों के खुदरा विक्रेता के रूप में काम नहीं करने वाले पैक्सों की पहचान की जाएगी. व्यावहारिकता के आधार पर उन्हें चरणबद्ध तरीके से खुदरा विक्रेता के रूप में काम करने के लिए बढ़ावा दिया जाएगा.
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पैक्सों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में काम करना होता है. जो अभी तक इस रूप में काम नहीं कर रहे हैं, उन्हें इसके दायरे में लाया जाएगा. जैविक उर्वरकों (दानेदार और तरल) की बिक्री भी पैक्सों के माध्यम से की जाएगी. उर्वरक विभाग के बाजार विकास योजना के तहत उर्वरक कंपनियां छोटे बायो-आर्गेनिक उत्पादकों के लिए संचालक की तरह काम कर अंतिम उत्पाद का मार्केटिंग करेंगी.
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खरीद-बिक्री श्रृंखला में थोक एवं खुदरा विक्रेताओं के रूप में पैक्स को भी शामिल किया जाएगा. उर्वरकों और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए पैक्सों को ड्रोन उद्यमी के रूप में भी काम करना है. ड्रोन का उपयोग संपत्ति सर्वेक्षण के लिए भी किया जा सकता है. इसके अलावा सहकारिता मंत्रालय ने कहा है कि इन महत्वपूर्ण फैसलों से पैक्स की आय में बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और किसान स्थानीय स्तर पर खाद, कीटनाशक, बीज और कृषि मशीनरी प्राप्त कर सकेंगे.
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