भारत ने ऑयलमील (खली) के निर्यात के मामले में जबरदस्त उछाल दर्ज की है. मार्केटिंग सीजन 2023-24 के पहले सात महीनों में भारत ने 25.66 लाख टन ऑयलमील का निर्यात किया है. खास बात यह है कि पिछले साल यह इसी अवधि में यह आंकड़ा महज 19.75 लाख टन था. यानी भारत ने ऑयलमील के निर्यात के मामले में पिछले साल के मुकाबले 29.89 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. खास बात यह है कि यहां ऑयलमील का मतलब बीज से तेल निकालने के बाद बचे प्रोटीन युक्त पदार्थ से है, जिसे खली भी कहते हैं. पोल्ट्री और पशु चारा उद्योग के लिए लिए इसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के आंकड़ों के अनुसार, ऑयलमील का निर्यात अक्टूबर 2023 में बढ़कर 2.89 लाख टन हो गया, जो अक्टूबर 2022 में 2.13 लाख टन था. एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि भारतीय सोयाबीन खली की विदेशों में मांग बढ़ी है. उनकी माने तो कीमतों में अंतर आने की वजह से निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि भारत ने अप्रैल-अक्टूबर 2023-24 के दौरान 6.73 लाख टन सोयाबीन खली का निर्यात किया, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 1.61 लाख टन था.
वहीं, 16 नवंबर तक, सोयाबीन मील की कीमत 570 डॉलर प्रति टन थी. इसी तरह अर्जेंटीना (सीआईएफ रॉटरडैम) की सोयाबीन मील की कीमत 606 डॉलर प्रति टन थी. ऐसे में हम कह सकते हैं कि कीमतों में अंतर आने की वजह से हाल के महीनों में भारतीय सोयाबीन खली की मांग विदेशों में बढ़ गई. दरअसल, दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में सोयाबीन खली को बड़े स्तर पर भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है. इन देशों में भारत से ही सबसे अधिक सोयाबीन खली का निर्यात होता है. इसके अलावा कुछ यूरोपीय देशों के साथ-साथ अमेरिका भी भारतीय सोयाबीन की खली को पसंद करता है.
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भारत ने अप्रैल-अक्टूबर 2023-24 के दौरान 15.13 लाख टन रेपसीड मील का निर्यात किया, जबकि एक साल पहले यह 13.39 लाख टन था. बीवी मेहता ने कहा कि भारत दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य सुदूर-पूर्व देशों को 325 डॉलर प्रति टन (एफओबी भारत) पर रेपसीड भोजन निर्यात करता है. जबकि, हैम्बर्ग (एक्स-मिल) से रेपसीड मील की कीमत 335 डॉलर प्रति टन बताई गई थी. भारत ने साल 2022-23 में 22.96 लाख टन रेपसीड मील का निर्यात किया था. उन्होंने कहा कि भारत से रेपसीड मील का निर्यात शुरू होने के बाद से यह सबसे बड़ा आकड़ा है.
हालांकि, मेहता ने कहा कि तेल रहित चावल की भूसी के निर्यात पर प्रतिबंध से प्रसंस्करण उद्योग को नुकसान हो रहा है. भारत वियतनाम, बांग्लादेश और थाईलैंड को लगभग 5-6 लाख टन डी-ऑयल राइस ब्रान का निर्यात करता है. भारत ने 2023-24 के अप्रैल-जुलाई के दौरान लगभग 1.5 लाख टन चावल की भूसी का निर्यात किया है. इसी तरह भारत ने 2023-24 के पहले सात महीनों के दौरान 2.13 लाख टन अरंडी का निर्यात किया, जबकि एक साल पहले यह 1.89 लाख टन था.
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