कपास की प्रोसेसिंग को प्‍लांट और मशीनरी के अनुकूल बनाने की जरूरत, कृषि मंत्री ने CIRCOT को लेकर कही ये बात

कपास की प्रोसेसिंग को प्‍लांट और मशीनरी के अनुकूल बनाने की जरूरत, कृषि मंत्री ने CIRCOT को लेकर कही ये बात

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई के शताब्दी समारोह में शामिल हुए. इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने CIRCOT को कपास क्षेत्र में 2047 के लिए रोडमैप बनाने को कहा है.

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कपास की प्रोसेसिंग को प्‍लांट और मशीनरी के अनुकूल बनाने की जरूरत, कृषि मंत्री ने CIRCOT को लेकर कही ये बातकार्यक्रम में शामिल हुए केंद्रीय कृषि‍ मंत्री व उप राष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई के शताब्दी समारोह में शामिल हुए. कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी अपनी पत्‍नी के साथ पहुंचे. इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि उप राष्ट्रपति एक ऐसे संसदीय ज्ञान के जानकर है, जिसका दूसरा उदाहरण नहीं मिलता. वे खेती और किसानों की समस्या को हृदय से समझते हैं. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि संस्‍थान के 100 वर्ष पूरे होने काे हैं. 100 साल में दो ही चीजें होती हैं. या तो हारे, थके, ऊंघते हुए जैसे तैसे बैठे रहो या फिर नई उमंग और नए उत्साह, आनंद और जोश के साथ अगले 100 साल की तैयारी करो.

100 साल पहले 1924 में जब ये प्रयोगशाला बनी थी, तब एक उद्देश्य होगा कि कपास से अधिकतम लाभ कैसे कमाएं, क्योंकि उस समय अंग्रेजों का राज था. उनके अपने मकसद थे, उनके अपने उद्देश्य थे, लेकिन आज हमारा संकल्प विकसित भारत का निर्माण है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक वैभवशाली, गौरवशाली, सम्पन्न, समृद्ध भारत का निर्माण और वो निर्माण किसान के बिना नहीं हो सकता.

'खेती भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़'

आज भी खेती भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा. मंत्री के रूप में मुझे लगता है किसान की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा है. हमको संस्थान के माध्यम से जो विभिन्न आयाम हैं, वो पूरे करने हैं. कपास कपड़े देता है, वो हम पहनते हैं. उसकी उपयोगिता कितनी है, बताने की आवश्यकता नहीं है.

इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दो-तीन चीजें मुझे लगती हैं, जो इस संस्थान में अभी जरूरी हैं. भारत में कपास की खेती की स्थिरता बढ़ाने के लिए एक कपास की चुनाई का मशीनीकरण बहुत महत्वपूर्ण है. यह एकमात्र संस्थान है, जो यांत्रिक रूप से चुनी गई कपास के प्रसंस्करण के लिए काम कर रहा है.

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प्‍लांट की सुविधा दी जाएगी

यांत्रिक रूप से काटी गई कपास के प्रसंस्करण के संयंत्र और मशीनरी को अनुकूल बनाने की जरूरत है, जिसके लिए पायलट संयंत्र सुविधा की व्यवस्था यहां की जाएगी. यह संस्थान कपास का अंतरराष्ट्रीय केंद्र कैसे बन जाए, इसके लिए हर आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएंगी.

भारतीय कपास के निर्यात के लिए कॉटन में ट्रेसिबिलिटी सिस्टम विकसित करना बहुत जरूरी है, इसलिए ट्रेसिबिलिटी के लिए नए तकनीकी विकास करने की दिशा में जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और ये सारी कवायद किसानों के लिए भी है.

महंगे बीज को लेकर बोले कृषि मंत्री

कपास खेती के क्षेत्र में कुछ चीजें है. एक तो किसानों को कपास का बीज इतना महंगा मिलता है कि कई बार किसानों के फोन आते हैं. मिलकर बताते हैं कि निजी कंपनियों कितना महंगा कपास देती हैं. आईसीएआर को यह कोशिश करना चाहिए कि गुणवत्तापूर्ण बीज जिसको आप बनाते हैं. वो कैसे किसानों को कम दाम पर मिलें, कंपनी किसानों को लूट न पाए.

दूसरा हमारी सोच का केंद्र. कपास उद्योग तो होना चाहिए, क्योंकि खेती के उत्पाद को उद्योग में ले जाना ही पड़ेगा. तो वो सारे प्रयत्न कीजिए, लेकिन सोच के केंद्र में किसान भी रहे कि कैसे उसको कपास से अधिकतम लाभ मिले, जिससे खेती से वो अपनी आजीविक ठीक से चला पाए, इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ध्यान दे.

2047 के लिए रोडमैप बनाने को कहा

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मेरा एक अनुरोध है कि संस्‍थान के 100 साल पूरे हुए हैं. प्रधानमंत्री ने 2047 तक का टारगेट हमको दे दिया है, इसलिए आने वाले 2047 तक का रोडमैप हमको बनाना चाहिए. हम 2047 तक क्या क्या करेंगे, वो रोडमैप मुझे चाहिए, जिससे हम उस पर तेजी से काम कर सकें और हम नए नए प्रयोग क्या कर सकते हैं, इस क्षेत्र में 2047 तक CIRCOT सिरमौर होना चाहिए.

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