मध्य प्रदेश में बहुचर्चित पटवारी भर्ती परीक्षा में टॉप 10 में शामिल रही छात्रा मधुलता का एक वीडियो सोमवार को उस समय जमकर वायरल हुआ जब इसे कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने ट्विटर पर डाल दिया. इस कथित वीडियो में छात्रा 15 लाख रुपये की घूस देने की बात ना केवल स्वीकार करती दिख रही है बल्कि वह इसे जायज भी ठहराते हुए शिवराज सरकार से परीक्षा परिणाम रद्द न करने की अपील कर रही है. हालांकि ट्विटर पर मिश्रा को जवाब देते हुए एक अन्य ट्वीट में उसी युवती का वीडियो चस्पा किया गया है, जिसमें वह कह रही है कि उसने यह वीडियो अपनी सहेलियों के साथ मिल कर यूं ही बना दिया था जिसे बाद में वायरल कर दिया गया. उसने वीडियो में कहा कि वह पटवारी परीक्षा की टॉपर मधुलता नहीं है. उसकी सहेलियों ने हंसी मजाक में यह वीडियो बना कर यूट्यूब पर डाल दिया.
गौरतलब है कि बीते दिनों पटवारी भर्ती परीक्षा में ग्वालियर के एनआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में परीक्षा देने वाले 7 छात्रों का टॉप 10 में चयन होने का मामला उजागर होने के बाद इस मामले में सियासी खींचतान तेज हो गई है. कांग्रेस इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने के लिए नित नए आरोप लगा रही है. हालांकि सूबे की शिवराज सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. इसके बाद भी कांग्रेस इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने के लिए इस तरह के वीडियो उजागर करने सहित हर तरह के हथकंडे अपनाने से नहीं चूक रही है.
दरअसल कांग्रेस की प्रदेश इकाई के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने एक वीडियो ट्वीट कर सियासी गलियारों में सनसनी सरगर्मी तेज कर दी जिसमें एक युवती खुद को पटवारी भर्ती परीक्षा की टॉपर मधुलता बताते हुए कह रही है कि उसने परीक्षा पास करने के लिए 15 लाख रुपये की घूस दी है. इतना ही नहीं वीडियो में वह यह भी कह रही है उसे घूस देकर परीक्षा पास करने का जो ऑफर मिला वह गलत नहीं है, क्योंकि अगर किसी और को भी ऐसा ऑफर मिलता तो वह भी ऐसा ही करता जो उसने किया. साथ ही वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी परीक्षा रद्द नहीं करने की अपील कर रही है. इस वीडियो के साथ मिश्रा ने परीक्षा की टॉपर मधुलता का प्रवेश पत्र भी चस्पा करते हुए राज्य सरकार पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, कि पटवारी भर्ती परीक्षा में चयनित बिटिया मधुलता पिता लालपती राम गडवाल का यह वीडियो, यदि सच है, जिसमें वह अपने चयन में 15 लाख रुपये दिए जाने की बात कह रही है...? तो यह एक गंभीर मामला है,इसकी उच्चस्तरीय जांच हो और इस बच्ची को सुरक्षा प्रदान की जाए.
सवाल...??
— KK Mishra (@KKMishraINC) July 17, 2023
पटवारी भर्ती परीक्षा में चयनित बिटिया मधुलता पिता लालपती राम गडवाल का यह वीडियो यदि सच है,जिसमें वह अपने चयन में 15 लाख रु.दिए जाने की बात कह रही है...?
तो यह एक गंभीर मामला है,इसकी उच्चस्तरीय जांच हो और इस बच्ची को सुरक्षा प्रदान की जाए.....@CMMadhyaPradesh… pic.twitter.com/jCVsVyjlVU
मिश्रा के ट्वीट पर सियासी भूचाल आने के बाद महज एक घंटे बाद ही उन्हीं की वॉल पर एक जवाबी ट्वीट आया. इसमें उसी युवती का एक यूट्यूब वीडियो साझा किया गया जिसमें वह कहती दिख रही है कि मिश्रा द्वारा शेयर किया गया वीडियो सही नहीं है. उसने कहा कि वह मधुलता नहीं है, बल्कि उसने अपनी सहेलियों के साथ यह वीडियो बना कर यूट्यूब पर डाल दिया था, जिसे वायरल किया जा रहा है. इसमें वह उक्त वीडियो को वायरल न करने की अपील भी करते रही है. हालांकि कुछ समय बाद ही जवाबी वीडियो हटा लिया गया. हालांकि मिश्रा की वॉल पर दो तरह के विरोधाभासी वीडियो शेयर करने पर तरह तरह के कमेंट किए जाने लगे. कुछ लोगों ने मिश्रा द्वारा शेयर किए गए मधुलता के वीडियो और परीक्षा के प्रवेश पत्र में चस्पा तस्वीर एक दूसरे से मेल न खाने की भी बात कही.
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गौरतलब है कि पटवारी भर्ती परीक्षा गत 15 मार्च को हुई थी. मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा आयोजित ग्रुप 2 एवं पटवारी भर्ती परीक्षा का परिणाम में 30 जून को घोषित किया गया था. इसमें ग्वालियर के एनआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में भी इस परीक्षा का केन्द्र था. इस संस्थान में परीक्षा देने वाले 7 छात्र ऐसे थे जो टॉप 10 में शामिल थे, साथ ही कुल 114 चयनित छात्रों ने भी इसी संस्थान में बने सेंटर से परीक्षा दी थी. एक ही परीक्षा केंद्र से इतने ज्यादा छात्रों का चयन होने का मामला उजागर होने के बाद कांग्रेस ने इसे परीक्षा में व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी होने का आरोप लगाते हुए इसे सियासी मुद्दा बना दिया. कांग्रेस का आरोप है कि यह संस्थान के मालिक भाजपा के भिंंड से विधायक संजीव सिंह कुशवाह हैं. कांग्रेस का आरोप है कि कुशवाह के प्रभाव का इस्तेमाल कर इस संस्थान में परीक्षा देने वाले छात्रों का चयन करवाया गया है. मामला तूल पकड़ने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं.
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ग्वालियर में 'किसान तक' ने इस संस्थान के प्राचार्य एवं अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन गार्ड ने बताया कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद से ही इंस्टीट्यूट में किसी भी बाहरी व्यक्ति को अंदर जाने की इजाजत नहीं है. सिर्फ स्टाफ और छात्र ही भीतर जा सकते हैं. इस बीच संस्थान के मालिक कुशवाह ने टेलीफोन पर 'किसान तक' को बताया कि उनके संस्थान में उक्त परीक्षा का सिर्फ केंद्र बनाया गया था. उनके संस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है, इसका पटवारी भर्ती परीक्षा की पढ़ाई से कोई वास्ता तक नहीं है. ऐसे में इस मामले में संस्थान की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार अपना पक्ष रख चुकी है, मामले की जांच भी की जा रही है, ऐसे में वह परीक्षा प्रणाली या परीक्षा परिणाम के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे.
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