महाराष्ट्र में मराठा कोटा बिल पारित, कानून लागू होने के 10 साल बाद फिर होगी समीक्षा 

महाराष्ट्र में मराठा कोटा बिल पारित, कानून लागू होने के 10 साल बाद फिर होगी समीक्षा 

महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मराठा आरक्षण बिल विधानसभा से पास कर दिया है. इस बिल को सर्वसम्मति से पास किया गया है. इस विधेयक का नाम है महाराष्ट्र स्टेट सोशली एंड एजुकेशनली बैकवार्ड बिल, 2024. इसके बाद अब महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोगों को नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा. 

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महाराष्ट्र में मराठा कोटा बिल पारित, कानून लागू होने के 10 साल बाद फिर होगी समीक्षा मराठा आरक्षण बिल हुआ पास

महाराष्ट्र विधानसभा ने आज (मंगलवार) सर्वसम्मति से मराठा आरक्षण विधेयक पारित कर दिया. मराठा आरक्षण कानून शिक्षा और सरकारी नौकरियों दोनों में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देगा. इस विधेयक का नाम है महाराष्ट्र स्टेट सोशली एंड एजुकेशनली बैकवार्ड बिल, 2024. इस विधेयक में यह प्रस्ताव दिया गया कि आरक्षण लागू होने के बाद 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है. मराठा आरक्षण पर राज्य विधानमंडल का एक दिवसीय विशेष सत्र फिलहाल मुंबई में चल रहा है.

विधेयक पारित करने का निर्णय महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से जारी एक व्यापक रिपोर्ट के बाद लिया गया है, जो लगभग 2.5 करोड़ परिवारों को कवर करने वाले सर्वेक्षण पर आधारित है. यह सर्वेक्षण राज्य में मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की जांच करता है. महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर अपने सर्वेक्षण पर एक रिपोर्ट जारी की. इस सर्वे में लगभग 2.5 करोड़ परिवारों को शामिल किया गया.

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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने क्या कहा ?

रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र की आबादी में मराठा समुदाय की हिस्सेदारी 28 फीसदी है. विधेयक पारित होने से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, सर्वे लगभग 2-2.5 करोड़ लोगों पर किया गया है. 20 फरवरी को हमने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है जिसके बाद कानून के मुताबिक मराठा आरक्षण दिया जाएगा. गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले कुल मराठा परिवारों में से 21.22 प्रतिशत के पास पीले राशन कार्ड हैं. यह राज्य के औसत 17.4 प्रतिशत से अधिक है. इस साल जनवरी और फरवरी के बीच किए गए राज्य सरकार के सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि मराठा समुदाय के 84 प्रतिशत परिवार उन्नत श्रेणी में नहीं आते हैं, इसलिए वे बिल के अनुसार इंद्रा साहनी मामले के अनुसार आरक्षण के लिए पात्र हैं. बिल में कहा गया है कि महाराष्ट्र में कुल आत्महत्या करने वाले किसानों में से 94 प्रतिशत मराठा परिवारों से हैं.

मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने की मांग 

इस बीच, समाजवादी पार्टी ने आज महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में मुसलमानों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की मांग की. समाजवादी पार्टी विधायक अबू आजमी ने राज्य विधानसभा के बाहर मुस्लिमों को आरक्षण देने की मांग वाले बैनर लहराए. सपा विधायक रईस शेख ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. जब मराठा समुदाय को पिछली सरकार द्वारा आरक्षण दिया गया था, उसी दिन एक अधिसूचना निकाली गई और मुसलमानों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. लेकिन आज हम देख रहे हैं कि मराठा समुदाय को न्याय मिल रहा है जिसका हम स्वागत करते हैं. साथ ही, मुस्लिम समुदाय को नजरअंदाज किया जा रहा है. हम सरकार से अपील करते हैं कि अधिसूचना का पालन करें, जब आप न्याय कर रहे हैं, तो सभी के साथ न्याय करें.

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