उत्तर प्रदेश के आगरा पहुंचा किसान कारवां, कृषि वैज्ञानिकों की बातें सुन हैरान रह गए किसान

उत्तर प्रदेश के आगरा पहुंचा किसान कारवां, कृषि वैज्ञानिकों की बातें सुन हैरान रह गए किसान

किसान तक के मंच पर बारी-बारी से खेती के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने किसानों को समझाया. मृदा परीक्षण से जमीन की ताकत और उसकी नियति का पता लग जाता है. कार्यक्रम में फसल को चेचक बीमारी होने की बात किसानों ने जोर शोर से उठाई. किसान चेचक बीमारी के कारण फसलों के होने वाले नुकसान से काफी प्रभावित थे.

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उत्तर प्रदेश के आगरा पहुंचा किसान कारवां, कृषि वैज्ञानिकों की बातें सुन हैरान रह गए किसानउत्तर प्रदेश के आगरा पहुंचा किसान कारवां

उत्तर प्रदेश के आगरा में किसान तक के कारवां ने आज सैया ब्लॉक में धूम मचा दी. विश्व आलू दिवस पर दर्जनों किसानों के बीच खेती को लेकर नई-नई जानकारियां साझा की गई. किसान तक के मंच पर बारी-बारी से खेती के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने किसानों को समझाया की आलू, सरसों, गेहूं, मिर्च और अन्य सब्जियों की खेती करते समय बीज, खाद, और पानी का बुवाई के समय ध्यान रखना है. कृषि वैज्ञानिक राजेंद्र सिंह चौहान ने किसानों को बताया की मृदा परीक्षण जरूर कराएं.

फसलों को बर्बाद करता है चेचक

मृदा परीक्षण से जमीन की ताकत और उसकी नियति का पता लग जाता है. कार्यक्रम में फसल को चेचक बीमारी होने की बात किसानों ने जोर शोर से उठाई. किसान चेचक बीमारी के कारण फसलों के होने वाले नुकसान से काफी प्रभावित थे. राजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि चेचक रोग बैक्टीरिया से होता है. उन्होंने यह भी बताया कि यह बैक्टीरिया मिट्टी के पीएच स्तर के गड़बड़ाने के कारण पैदा होता है. इससे बचाव के लिए उन्होंने किसानों को जानकारी दी कि खेत को साफ सुथरा रखें. उसमें गंदगी ना होने दें.

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इन कारणों से फैलती है ये बीमारी

चौहान ने बताया कि स्ट्रेप्टो मैसेज स्केबीज नामक एक सेमी-प्रोफाइल बैक्टीरिया है. यह कार्बनिक पदार्थों से भोजन लेता है. इस बैक्टीरिया को सामान्य भाषा में चेचक कहा जाता है. खेत में कैल्शियम, पोटेशियम और ताजा गोबर का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह उन्होंने दी है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि यह मिट्टी का पीएच लेवल बढ़ा देती हैं जिससे यह बैक्टीरिया पैदा हो जाता है.

मृदा परीक्षण के लिए लैबोरेट्री की जरूरत

फसल में चेचक बीमारी की समस्या किसान राजवीर त्यागी ने उठाई थी. किसान विजयपाल सिंह ने कहा कि किसान तक कार्यक्रम में उन्हें फसलों के बारे में बहुत सी नई जानकारी मिली. डॉक्टर रघुवीर सिंह ने समस्या बताई की ब्लॉक लेवल पर मृदा परीक्षण के लिए लैबोरेट्री होनी चाहिए. किसान जगदीश मित्तल ने कहा है कि खेती करने वालों को बीज के गुणवत्ता की सही जानकारी नहीं पता हो पाती है. किसानों की इन समस्याओं पर जानकारों ने अलग-अलग तरह से समाधान के बारे में जानकारियां दी.

किसान कारवां का आयोजन यूपी सरकार के सहयोग से किया जा रहा है. इस पूरे कारवां में एसोसिएट पार्टनर के तौर पर अनमोल, धानुका और स्वराज जुड़े हुए हैं. (अरविंद शर्मा की रिपोर्ट)

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