हरियाणा के करनाल में कुदरत की मार के बाद किसान मंडियों में सरकार की नीतियों का खामियाजा सीधे तौर पर भुगत रहे हैं. किसान धान की सरकारी बोली का इंतजार कर रहे है, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हो रही. बेबस मायूस किसान अपनी खेती पर पछताने के सिवा कुछ नहीं कर पा रहे हैं. बस अपनी मेहनत की कमाई को औने-पौने दामों पर पिटता हुआ देखने के सिवा कुछ नहीं मिल रहा. किसानों को उपज का सही भाव नहीं मिल रहा है.
आढ़तियों और किसानों को उम्मीद थी कि धान की सरकारी बोली 15 सितंबर से शुरू होगी, लेकिन बोली शुरू नहीं हुई. अब बोली के बारे में कभी 25 सितंबर तो कभी एक अक्टूबर से होने के कयास लगाए जा रहे हैं. लेकिन मंडियों में फैली अव्यवस्थाएं ओर खरीद एजेंसियों की नाकाफी तैयारियां इस ओर इशारा कर रह रही हैं. इससे किसान, आढ़ती परेशान हैं. वहीं प्राइवेट खरीदारों के चेहरे खिल हुए हैं.
किसानों ने बताया कि उन्होंने सरकार के नियम अनुसार सही समय पर धान की फसले लगाई थीं. फसल समय पर पककर तैयार हो चुकी हैं. सरकार उनकी फसलें खरीदने के लिए आगे नहीं आ रही है. उन्हें प्राइवेट खरीदारों के भरोसे छोड़ दिया गया, जो उनकी पीआर धान को 17 सौ से लेकर 18 सौ रुपये तक खरीद रहे हैं. किसान चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते.
सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य की मांग पर प्राइवेट खरीदार तपाक से बोल देते हैं कि बेचैनी है तो बेचो नहीं तो आप जानो.
ऐसे किसान मजबूरी में क्या करे. किसान कहते हैं कि कब तक और किसके भरोसे पर रुकें, क्योंकि सरकारी खरीद का कोई निश्चित टाइम नहीं है. किसानों ने दुख जताते हुए कहा कि सब कुछ अंधेरे में दिखाई दे रहा है. पहले कुदरत की मार झेली, बरसात के बाद अब फसलों में सुंडी नामक कीट ने तबाही मचाई हुई है. किसान क्या करे, सरकार से उम्मीद थी, लेकिन मंडियों में आकर सब उम्मीदें टूट गईं.
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मार्केट कमेटी करनाल के सचिव ने बताया कि मंडी में पीआर धान की आवक होने लगी है, जो 1825 से 1950 रुपये प्रति क्विंटल तक रेट मिल रहे हैं. दूसरी ओर 1509 के रेट 34 सौ रुपये क्विंटल तक मिल रहे हैं. मंडी में साफ सफाई करवाई जा रही है. सड़कें टूटी हुई हैं. उसकी मरम्मत के लिए मार्केट बोर्ड के एक्सईएन को अवगत करवा दिया है, जो जल्द ही ठीक हो जाएगा. पानी और टॉयलेट को लेकर कोई दिक्कत नहीं है. उन्हें अभी तक जानकारी नहीं है कि धान की सरकारी खरीद कब होगी. कौन सी एजेंसी कब धान की खरीद करेगी, लेकिन मंडी में किसानों को धान खरीद को लेकर कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी.
किसान सुरेश पाल ने बताया कि नौ एकड़ में धान लगाई थी, मंडी में व्यवस्था ठीक है. बाहर 1509 धान का रेट सही मिल रहा है. उन्होंने कहा कि प्राइवेट खरीदार धान को खरीद रहे हैं. सरकार से मांग है कि सरकार धान के अच्छे रेट दिलवाए क्योंकि किसान पिछले सालों से घाटे में चल रहा है.
आढ़ती अजमेर सिंह ने बताया कि मंडी में पीआर धान की आवक शुरू हो चुकी है. खरीदारी अभी तक शुरू नहीं हुई है, जिससे किसान परेशान हैं. मंडी में साफ सफाई नहीं है, सडक़ें टूटी हुई हैं. सरकार एक अक्टूबर से खरीद की बात की जा रही है. प्राइवेट खरीदार औने-पौने दामों पर पीआर धान को खरीद रहे हैं. सरकार से मांग है कि सरकारी धान की जल्द शुरू की जाए ताकि किसानों को नुकसान न झेलना पड़े.
किसान गुरमेल सिंह ने बताया कि मंडी में खरीद की व्यवस्था ठीक नहीं है. पीआर के रेट 18 सौ रुपये क्विंटल तक मिल रहे हैं. पानी से लेकर साफ सफाई तक कोई व्यवस्था नहीं है. सरकार को चाहिए कि धान की सरकारी बोली शुरू करवाए, लेकिन अभी तक कोई तारीख नहीं आई है. वहीं किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
किसान सतपाल सिंह राणा ने बताया कि पीआर धान पककर तैयार हो चुकी है. किसान मंडियों में फसल लेकर आ रहे हैं, लेकिन सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई है. प्राइवेट खरीदार 18 सौ से 2000 रुपये तक खरीद रहे हैं जबकि सरकारी रेट 2200 रुपये से अधिक है. किसानों को प्रति एकड़ 12 हजार से अधिक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान मजबूरी में फसल बेच रहे हैं. सरकार को चाहिए कि धान की सरकारी खरीद शुरू करे.
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