प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने शुक्रवार को 2023-24 सीजन के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है. यह मंजूरी, कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है. 2023-24 सीजन के लिए कच्चे जूट (टीडी-3, पहले के टीडी-5 ग्रेड के बराबर) का एमएसपी पिछले सीजन की तुलना में 6 प्रतिशत बढ़ोतरी कर 5050 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है.
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि 2023-24 सीज़न के लिए कच्चे जूट का घोषित एमएसपी, उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने के सिद्धांत के अनुरूप है, जिसे सरकार द्वारा 2018-19 के बजट में घोषित किया गया था.
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ठाकुर ने यह भी कहा कि कच्चे जूट के एमएसपी में बढ़ोतरी से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 63.20% का रिटर्न सुनिश्चित होगा. उन्होंने कहा कि बढ़ोतरी से 40 लाख किसानों और जूट उद्योग से जुड़े 4 लाख कामगारों को मदद मिलेगी. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जेसीआई) मूल्य समर्थन संचालन करने के लिए केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में काम करना जारी रखेगा और इस तरह के संचालन में होने वाली हानि, यदि कोई हो, तो केंद्र सरकार द्वारा इसकी पूर्ण प्रतिपूर्ति की जाएगी.
जूट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र सरकार ने जूट पैकेजिंग सामग्री (पैकेजिंग वस्तुओं में अनिवार्य उपयोग के लिए) अधिनियम, 1987 को अधिनियमित किया है, जिसमें जूट में पैक की जाने वाली कुछ वस्तुओं को निर्धारित किया गया है. वही पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने जूट बैग में पैक किए जाने वाले खाद्यान्न और चीनी के लिए क्रमशः 100% और 20% रिजर्व रखा है. बता दें कि केंद्र और राज्य सरकारें खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए जूट के सामान के कुल उत्पादन का 70% खरीदती हैं.
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