बकरीद के इस खास बकरे की विदेशी भी नस्ल सुधार के लिए करते हैं डिमांड, जानें डिटेल

बकरीद के इस खास बकरे की विदेशी भी नस्ल सुधार के लिए करते हैं डिमांड, जानें डिटेल

जमनापारी नस्ल यूपी के इटावा शहर की है. सीआईआरजी 43 साल से बकरियों पर काम कर रहा है. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन का सहारा लेकर इस खास नस्ल की संख्या बढ़ाई जा रही है. 4-5 साल में 4 हजार के करीब जमनापारी नस्ल के बकरे-बकरी किसानों में वितरित किए जा चुके हैं.

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बकरीद के इस खास बकरे की विदेशी भी नस्ल सुधार के लिए करते हैं डिमांड, जानें डिटेलजमनापारी नस्ल. फोटो क्रेडिट-किसान तक

बकरीद के दौरान खासतौर पर यूपी, हरियाणा और राजस्थान में जमनापारी बकरा खूब बिकता है. बकरों की कुछ और खास नस्ल की तरह से जमनापारी बकरा अपने बॉडी साइज के चलते एक अलग पहचान रखता है. दूध देने, मीट और बच्चा देने के मामले में इस नस्ल  के बकरा-बकरी का एवरेज दूसरी नस्ल के मुकाबले बहुत बेहतर है. यही वजह है कि देश ही नहीं विदेशों में भी नॉन ब्रीड बकरियों की नस्ल सुधार के लिए जमनापारी बकरे की डिमांड होती है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट भी जमनापारी बकरे की क्वालिटी पर मुहर लगा चुके हैं. जमनापारी की संख्या बढ़ाने के लिए सीआईआरजी लगातार काम कर रहा है. इसके लिए हाल ही में उसे पुरस्का्र भी मिला था.

सीआईआरजी के साइंटिस्ट का कहना है कि नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया आदि देश में जमनापारी नस्ल के बकरे भेजे जा चुके हैं. खासतौर पर सफेद रंग में पाए जाने वाले यह बकरे सामान्य बकरों से ज्यादा लम्बे होते हैं. देखने में भी खूबसूरत होते हैं. 

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जमनापारी के बारे में क्या कहते हैं सीआईआरजी के साइंटिस्ट

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट और जमनापारी नस्ल  के एक्सपर्ट डॉ. एमके सिंह ने किसान तक को बताया कि दूसरे देश भारत से जमनापारी नस्ल के बकरों की डिमांड अपने यहां कि बकरियों की नस्ल सुधार के लिए करते हैं. क्योंकि जमनापारी नस्ल की बकरी रोजाना 4 से 5 लीटर तक दूध देती है. इसका दुग्ध काल 175 से 200 दिन का होता है. एक दुग्ध काल में 500 लीटर तक दूध देती है. इस नस्ल में दो बच्चे देने की दर 50 फीसद तक है. इस नस्ल का वजन रोजाना 120 से 125 ग्राम तक बढ़ता है. शारीरिक बनावट और सफेद रंग का होने के चलते इनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. इसीलिए बकरीद पर भी इनकी खासी डिमांड रहती है. 

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16 पाइंट में जानें जमनापारी बकरे-बकरियों की खासियत  

1 जमनापारी बकरा इटावा, यूपी के चकरनगर और गढ़पुरा इलाके में बहुत पाया जाता है. यह इलाका यमुना और चम्बल के बीहड़ वाला है. यहां बकरों के लिए चराई की अच्छी सुविधा है. यह यूपी की एक खास नस्ल है.
 
2 यह देश का लम्बाई में एक बड़े आकार वाला बकरा है. इसके कान भी लम्बे नीचे की ओर लटके हुए होते हैं.  

3 इसका रंग आमतौर पर सफेद होता है. लेकिन कभी-कभी कान और गले पर लाल रंग की धारियां भी होती हैं. 

4 इसकी नाक उभरी हुई होती है और उसके आसपास बालों के गुच्छें होते हैं. 

5 बकरे-बकरी दोनों के पीछे के दोनों पैर के ऊपर लम्बे बाल होते हैं.

6 बकरे और बकरी दोनों में ही सींग पाए जाते हैं. 

7 एक बकरे का वजन 45 किलो और बकरी का वजन 38 किलो तक होता है. 

8 बकरा 90 से 100 सेमी और बकरी 70 से 80 सेमी ऊंची होती हैं. 
 
9 जमनापुरी बकरियां अपने 194 दिन के दूधकाल में एवरेज 200 लीटर तक दूध देती हैं.  

10 एक साल में जमनापारी बकरी 21 से 26 किलो तक की हो जाती है.

11 जमनापारी का बच्चा 4 किलो वजन तक का होता है. 

12 बकरी 20 से 25 महीने की उम्र पर पहला बच्चा  देती है. 

13 दूध के साथ ही यह मीट के लिए भी पाली जाती है. 

14 सीआईआरजी, मथुरा लगातार जमनापारी बकरी पर रिसर्च करता है. 

15 देश में जमनापारी बकरियों की कुल संख्या 25.56 लाख है. 

16 प्योर जमनापारी ब्रीड बकरियों की संख्या 11.78 लाख है. 
 

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