पिछले दिनों चाय बोर्ड ने जुलाई में चाय उत्पादन को लेकर आंकड़े जारी किए थे. चाय बोर्ड के प्रोविजन अनुमान के मुताबिक, इस साल जुलाई में पिछली जुलाई की तुलना में चाय का कम उत्पादन हुआ. वहीं, इस गिरावट का असर चाय की कीमत में देखने को मिला. यही वजह रही कि अगस्त में उत्तर भारत में नीलामी केंद्रों पर चाय की कीमतें 23 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गईं. इस साल अगस्त में उत्तर भारत के नीलामी केंद्रों पर चाय की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले में 23 से 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई.
'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय चाय संघ (आईटीए) ने बताया है कि इस बार वर्ष 2023 की तुलना में काफी कम उत्पादन होने की उम्मीद है. ऐसे में आने वाले महीनों में कीमतें ऐसे ही रहने की संभावना है. भारतीय चाय संघ के चेयरमैन हेमंत बांगुर ने कहा, "फसल का नुकसान खराब मौसम और कीटों के हमले के कारण हुआ है. ऐसे में कम उत्पादन में उपलब्धता एक चुनौती है, इसलिए कीमतें तो बढ़नी चाहिए. चाय कंपनियों को जितना नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई इस बढ़ी हुई कीमत से भी नहीं हो सकती.''
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इधर, कोलकाता चाय व्यापारी संघ (सीटीटीए) ने चाय के भाव को लेकर आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, इस साल अगस्त के आखिरी हफ्ते में कोलकाता, गुवाहाटी और सिलीगुड़ी में हुई नीलामी के दौरान सभी चाय की औसत कीमत 260.90 रुपये प्रति किलोग्राम थी. यह पिछले साल अगस्त के आखिरी हफ्ते की तुलना में 36 प्रतिशत ज्यादा थी. उस समय चाय की कीमत 192.05 रुपये प्रति किलोग्राम थी.
अगस्त के पहले हफ्ते में उत्तर भारत में औसत नीलामी मूल्य पिछले वर्ष की समान अवधि के 199.22 रुपये की तुलना में साल दर साल 23 प्रतिशत बढ़कर 245.66 रुपये हो गई. कोलकाता चाय व्यापारी संघ के सचिव कल्याण सुंदरम ने कहा कि फसल की कमी के कारण पिछले साल की तुलना में कीमतें बहुत स्थिर हैं.
भारतीय चाय बोर्ड के अनुसार, इस वर्ष जनवरी-जुलाई की अवधि के दौरान देश का चाय उत्पादन पिछले साल की समान अवधि के 13.44 प्रतिशत घटकर 552.83 मिलियन किलोग्राम रहा. इस दौरान उत्पादन में पिछले साल की तुलना में उत्तर भारत में 14.67 प्रतिशत और दक्षिण भारत में 8.79 प्रतिशत की गिरावट आई.
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