CLFMA चेयरमैन ने 2025 में पोल्ट्री फीड की कमी को लेकर कही ये बड़ी बात, पढ़ें डिटेल 

CLFMA चेयरमैन ने 2025 में पोल्ट्री फीड की कमी को लेकर कही ये बड़ी बात, पढ़ें डिटेल 

फीड एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वो जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति दे. जब पैदावार ज्यादा होगी तो फूड, फीड और फ्यूल सभी की जरूरत पूरी होगी. जब फीड सस्ता मिलेगा तो पोल्ट्री सेक्टर पर भी लोड नहीं पड़ेगा. सस्ता पोल्ट्री प्रोडक्ट तैयार होगा तो एक्सपोर्ट भी कर सकेंगे. 

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CLFMA चेयरमैन ने 2025 में पोल्ट्री फीड की कमी को लेकर कही ये बड़ी बात, पढ़ें डिटेल मक्के के लिए तैयार हुई विशेष नैनो खाद

‘मक्का का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में किया जा रहा है. जबकि बड़ी मात्रा में मक्का का इस्तेमाल फीड में किया जाता है. कई और दूसरी इंडस्ट्री भी हैं जहां मक्का का इस्तेमाल किया जाता है. फूड यानि इंसानों के खानपान में भी मक्का का अच्छा‍ खासा इस्तेमाल होता है. हालांकि अभी फीड इंडस्ट्री में मक्का की कमी और रेट बढ़ने को लेकर कोई बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है. लेकिन हां, अगर जल्द ही इस बारे में कुछ नहीं किया गया तो साल 2025 में फीड इंडस्ट्री के सामने मक्का को लेकर एक बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है.क्योंकि अभी तो इथेनॉल की 10 फीसद ही ब्लेंडिंग हो रही है, लेकिन 2025 में ये दोगुनी हो जाएगी.’ 

ये कहना है कि कंपाउंड फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (CLFMA) के अध्य्क्ष सुरेश देवड़ा का. किसान तक से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि फीड में मक्का की परेशानी से बचने का सिर्फ एक ही हल है, और वो ये कि देश में किसानों को जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति दी जाए. और ये अनुमति भी अभी मिले मतलब खरीफ के सीजन में उसकी बुवाई हो सके. तभी आने वाली बड़ी परेशानी का हल निकलेगा. 

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हम जीएम मक्का की खेती के समर्थन में हैं इंपोर्ट के नहीं 

अध्यक्ष सुरेश देवड़ा ने किसान तक से हुई बातचीत के दौरान बताया कि हम मक्का को इंपोर्ट करने के समर्थन में नहीं हैं. हम नहीं चाहते कि इंपोर्ट होने के बाद फीड इंडस्ट्री की परेशानी दूर हो जाए, लेकिन किसानों के सामने नहीं परेशानी खड़ी हो जाए. इसलिए हमारी मांग इतनी है कि जल्द से जल्द किसानों को जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति सरकार से मिल जाए. ऐसा होने के बाद फूड, फीड और फ्यूल सभी की जरूरत को पूरा कर लिया जाएगा. 

पोल्ट्री सेक्टर के समर्थन में पीएफआई अध्यक्ष ने दिए ये तर्क 

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के अध्यक्ष रनपाल डाहंडा ने देश में ही जीएम मक्का की खेती के समर्थन में किसान तक को बताया, ‘ब्रॉयलर हो या फिर लेअर, पोल्ट्री सेक्टर पूरी तरह से फीड यानि मक्का और सोयाबीन समेत दूसरी चीजों पर टिका हुआ है. लगातार पोल्ट्री फीड के दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन पोल्ट्री प्रोडक्ट में नाम मात्र की ही बढ़ोतरी होती है. मक्का से इथेनॉल बनने के बाद अब दाम और भी ज्या‍दा बढ़ गए हैं.

अगर इथेनॉल में किसानों को रेट अच्छे मिल रहे हैं तो हम उसके खिलाफ नहीं हैं. लेकिन पोल्ट्री में भी तो पांच हजार से लेकर 10 हजार मुर्गे-मुर्गियों वाले छोटे किसान जुड़े हुए हैं, सरकार को चाहिए कि उनकी तरफ भी ध्यान दे. इसीलिए हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि वो जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति दे.’ 

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CII ने मक्का आयात करने की सिफारिश की 

फीड के बढ़ते दाम को देखते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने केन्द्र सरकार से जीएम मक्का आयात करने की अनुमति देने की बात कही है. हाल ही में 30 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सीआईआई ने सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी उचित कदम उठाने की मांग की है. सीआईआई का कहना है कि पोल्ट्री सेक्टर हर साल सात से आठ फीसद की दर से बढ़ रहा है. अगर इसे सहयोग मिले तो ये और तेजी से बढ़ सकता है. 

 

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