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जानें पशुओं को क्यों लगाए जाते हैं टैग, क्या होते हैं इसके फायदे

जानें पशुओं को क्यों लगाए जाते हैं टैग, क्या होते हैं इसके फायदे

सरकार द्वारा एक नई योजना शुरू की गई है. जिसके तहत पशुओं का एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. इस योजना के तहत पशुओं की नस्लों की पहचान कर उनका स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाएगा. वही इस योजना में पशुओं की पहचान के लिए उनके कान पर एक पिल्ले रंग का टैग लगाया जाएगा. आइये जानते हैं इस योजना से जुड़ी सारी जानकारी

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अब इंसान ही नहीं पशुओं को भी मिलता है आधार कार्ड, जानें इससे जुडी जानकारी, फोटो साभार: freepik अब इंसान ही नहीं पशुओं को भी मिलता है आधार कार्ड, जानें इससे जुडी जानकारी, फोटो साभार: freepik

देश में ज्यादातर किसान अपने घर में पशु जरूर रखते हैं, क्योंकि खेती के बाद अब पशुपालन भी काफी तेजी से बढ़ रहा है. इससे किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है. वैसे तो सरकार द्वारा पशुपालक किसानों के लिए दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी योजनाएं शुरू की गई हैं. जिसके तहत पशुपालकों को बहुत सारी आर्थिक सुविधाएं दी जाती हैं. अभी हाल के दिनों में सरकार द्वारा एक नई योजना शुरू की गई है. जिसके तहत पशुओं का एक डेटाबेस तैयार किया जा रहा है जो आधार कार्ड की तरह है. यह केंद्र सरकार के निर्देश पर पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग द्वारा शुरू किया गया है. इस योजना के तहत पशुओं की नस्लों की पहचान कर उनका स्वास्थ्य कार्ड बनाया जाएगा. वही इस योजना में पशुओं की पहचान के लिए उनके कान पर एक पिल्ले रंग का टैग लगाया जाएगा. आइये जानते हैं इस योजना से जुड़ी सारी जानकारी-
 

पशुओं को दिया जाएगा पहचान

अब दुधारू पशुओं जैसे- गाय, भैंस, बकरी को भी मिलेगा यूनिक आईडी नंबर  दिया जाएगा ताकि उस जानवर की खुद की पहचान हो सके. इस योजना के तहत पशुओं की जानकारी जुटाई जाएगी उसके बाद उनको 12 अंकों का एक नंबर दिया जाएगा और पशु के कान में बार कोड वाला एक टैग लगा दिया जाएगा. इस ईयर टैगिंग के जरिए पशुओं की सेहत और बीमारी से जुड़ी सभी जानकारियों का पता लगाया जाएगा. वहीं गाय, भैंस और बकरियों के कृत्रिम गर्भधान भी कराया जाएगा.  
 

पशुओं के ईयर टैगिंग के फायदे

सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पंजीकृत पशुओं को ही प्राथमिकता के आधार पर दिया जाएगा. इस टैगिंग से पशुओं के लिए दवाओं की भी सुविधा मुहैया कराई जाएगी. इस योजना में फसल बीमा की तरह पशुओं का भी बीमा होगा लेकिन बीमा के लिए टैगिंग अनिवार्य है. इससे पशुओं की जन्म से लेकर मृत्यु तक की सारी जानकारी इकट्ठी रहेगी. टैग लगने से खोए या चोरी हुए पशुओं का भी पता लगाना आसान हो जाएगा. इससे पशुओं की ऑनलाइन खरीद बिक्री भी आसानी से संभव हो जाएगी.

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इस योजना का लाभ फिलहाल हरियाणा, पंजाब और गुजरात के पशुपालकों को मिल रहा है जोकि अब बिहार में भी शुरू हो जाएगी.

आवेदन

इस योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप अपने निकटवर्ती पशु चिकित्सा संस्थान और उससे संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं या फिर आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन और योजना से जुड़ी जानकारी ले सकते हैं.

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