संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने किसान आंदोलन में सभी संगठनों के जुड़ने की अपील की है. एसकेएम ने संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें सरकार के एमएसपी फॉर्मूले को नकारा गया है. सरकार ने चौथे दौर की मीटिंग में किसान संगठनों के सामने पांच साल के लिए एमएसपी पर पांच फसलों की खरीद का प्रस्ताव दिया था, जिसे संगठनों ने खारिज कर दिया है. एसकेएम ने सभी किसान संगठनों और यूनियनों से आग्रह किया कि वे बीजेपी-एनडीए के सभी चुनाव क्षेत्रों में 21 फरवरी को विरोध प्रदर्शन का समर्थन करें.
एसकेएम ने कहा है कि सभी संगठनों ने एक सुर में सरकार के एमएसपी फॉर्मूले को नकार दिया है जिससे पता चलता है कि सभी किसान पूरे देश में एकसाथ सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. एसकेएम ने एक प्रेस रिलीज में कहा है कि एसकेएम इस समय को कृषि संकट का आपदा मानता है. हर दिन 27 किसान आत्महत्या कर रहे हैं और युवा किसान शहरी केंद्रों में मामूली वेतन पर काम करने के लिए प्रवासी श्रमिकों की श्रेणी में शामिल होने के लिए मजबूर हैं जबकि 80 करोड़ लोग इसी खेती पर निर्भर हैं. प्रेस रिलीज में कहा गया है कि कहा मोदी राज में कॉर्पोरेट ताकतों के खिलाफ किसान आंदोलन की सबसे बड़ी एकजुटता समय की मांग है. एसकेएम ने भारत भर के सभी किसान संगठनों से 21 फरवरी 2024 को बीजेपी-एनडीए सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में किसानों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने का आग्रह किया है.
ये भी पढ़ें: Farmers Protest: दिल्ली-हरियाणा के आंदोलनकारियों को महाराष्ट्र के किसानों का समर्थन, प्याज की एमएसपी मांगी
एसकेएम ने घोषणा की है कि यह प्रधानमंत्री और कार्यपालिका की जिम्मेदारी है कि वे 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ हस्ताक्षरित समझौते को लागू करें. सरकार से मांग की गई है कि सभी कानूनी गारंटी वाली फसलों के लिए एमएसपी@सी2+50% लागू करने के 2014 के आम चुनाव के बीजेपी घोषणापत्र में किए गए वादे के साथ न्याय करें.
SKM ने कहा, यह तर्क कि केंद्र सरकार को सभी 23 फसलों के लिए किसानों को एमएसपी देने के लिए 11 लाख करोड़ रुपये जुटाने होंगे, यह भी निराधार है क्योंकि कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद का मतलब यह नहीं है कि सरकार को भुगतान करना होगा और खरीद करनी होगी, बल्कि यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉर्पोरेट ताकतें अपना हिस्सा साझा करें. इस नीतिगत बदलाव से रोजगार बढ़ेगा, श्रमिकों और किसानों को बेहतर कीमत और मजदूरी मिलेगी और राज्य और केंद्र सरकारों को अधिक कर आय मिलेगी.
ये भी पढ़ें: Onion Price: किसान ने 443 किलो प्याज बेचा, 565 रुपये घर से लगाने पड़े, निर्यात बंदी ने किया बेहाल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today