देश भर में 638 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में अलग-अलग स्तरों पर कुल 3,499 पद खाली हैं, जिससे इन केंद्रों के प्रभावी कामकाज पर असर पड़ रहा है. उत्तरी राज्यों में, जम्मू और कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख सहित) के 19 केवीके में 172 पद खाली हैं. इसके बाद हरियाणा के 18 केवीके में 91 रिक्त पद खाली हैं, पंजाब के 22 केवीके में 74 रिक्त पद हैं. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के 12 केवीके में 26 पद खाली पड़े हैं. केवीके में खाली पड़े पदों ने इन केंद्रों के ऑपरेशन क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है, जो किसानों तक कृषि ज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
आंकड़ों से पता चला कि उत्तर प्रदेश में रिक्त पदों की संख्या सबसे अधिक है, केवीके में 437 पद भरे जाने की प्रतीक्षा में हैं. इसके बाद राजस्थान (351), मध्य प्रदेश (350), बिहार (230), और झारखंड (206) हैं. इन राज्यों में रिक्तियों की चिंताजनक संख्या इन महत्वपूर्ण कृषि संस्थानों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने और इन पदों को भरने के लिए काम शुरू करने की बात चल रही है.
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केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि देश में केवीके वाले जिलों की कुल संख्या 638 है. यहां तक कि कृषि पर राष्ट्रीय आयोग ने "अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार" पर अपनी रिपोर्ट में, “प्रत्येक जिले में एक केवीके रखने की सिफारिश की गई है, जबकि हाल ही में बनाए गए जिलों में नए केवीके की स्थापना एक सतत प्रक्रिया है, वर्तमान खाली पद को भरना एक चुनौती पेश करती है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से चलाए जाने वाली कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) योजना, राज्य सरकारों, केंद्रीय और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, गैर-सरकारी संगठनों और स्वयं आईसीएआर सहित विभिन्न मेजबान संगठनों के प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित होती है. मंत्री के अनुसार इन रिक्तियों को भरने की जिम्मेदारी संबंधित मेजबान संगठनों की है और आईसीएआर भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए उनके साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है.
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