कपास की घटती कीमतों से किसान परेशान नजर आ रहे हैं. पिछले डेढ़ महीने में ही कपास का भाव एमएसपी से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे गिर गया है. ऐसे में किसान चिंतित है कि उचित दाम नहीं मिलने से उनकी लागत भी नहीं निकल पाएगी. पिछले तीन सालों से कपास का उत्पादन कम हो रहा है. बावजूद इसके किसानों को कम दाम पर उपज बेचनी पड़ रही है. सरकार की ओर से मीडियम स्टेपल कपास के लिए 7,121 रुपये प्रति क्विंटल और लॉन्ग स्टेपल कपास के लिए 7,521 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी निर्धारित है, लेकिन किसानों को इससे कम कीमत मिल रही है. महाराष्ट्र की मंडियों में गुरुवार 21 नवंबर 2024 को कपास का यह भाव रहा.
मंडी | आवक | न्यूनतम कीमत (रु. में) | अधिकतम कीमत (रु. में) | मॉडल कीमत (रु. में) |
सावनेर | 2400 | 6900 | 6950 | 6925 |
किनवट | 46 | 6700 | 6900 | 6825 |
भद्रावती | 802 | 7220 | 7521 | 7371 |
समुद्रपुर | 520 | 6500 | 7000 | 6800 |
वडवणी | 45 | 6700 | 6900 | 6850 |
मौदा | 110 | 6750 | 6950 | 6800 |
अकोट | 1300 (H-4 मीडियम स्टेपल) | 6950 | 7445 | 6980 |
अकोला | 779 | 7321 | 7471 | 7396 |
अकोला(बोरगांव मंजू) | 307 | 7246 | 7471 | 7358 |
वर्धा | 975 (मीडियम स्टेपल) | 7000 | 7521 | 7300 |
बरसी तकली | 10000 (मीडियम स्टेपल) | 7471 | 7471 | 7471 |
पुलगांव | 920 (मीडियम स्टेपल) | 6800 | 7100 | 7000 |
नोट: आंकड़े महाराष्ट्र एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार हैं.
कपास के कम उत्पादन के पीछे मुख्य रूप से जलवायु परिस्थितियां, कीट और रोग जिम्मेदार है. पिछले कुछ सालों में कपास की फसलों पर कीट गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) का हमला तेजी से बढ़ा है. ये कीट कपास की बॉल में घुस जाते हैं, जिससे इन पर कीटनाशकों का भी असर नहीं होता. यही वजह है कि बड़ी संख्या में किसान कपास की खेती करने से पीछे हट रहे हैं. देश में कपास का कम उत्पादन के कारण इसका आयात बढ़ेगा और सीधे तौर पर कपड़ा उद्योग प्रभावित होगा और कपड़े महंगे होंगे.
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