मप्र में बैतूल जिले में आदिवासियों की अपनी एक अलग ही दुनिया है. उनकी जीवनशैली में बदलाव के नाम सिर्फ यही कहा जा सकता है कि आदिवासी समाज के लोग भी अब पूरी तरह से खेती पर निर्भर हो गए हैं. पारंपरिक तरीके से खेती करते हुए आदिवासी समुदायों तक रासायनिक खाद जरूर पहुंच गया है. सिंचाई के लिए बिजली के पंप और पाइप का इस्तेमाल करने लगे हैं. लेकिन फसल से मिली उपज को मंडी तक पहंचाने से पहले उसे सुखाने आर सहेजन के तरीके पारंपरिक ही है. सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए बागवानी खेती को बढ़ावा दे रही है, मगर आदिवासी समुदाय के लोग अपने खेत को इस प्रकार से डिजायन करते हैं कि उसमें सब्जी, फल और खाद्यान्न की उपज के लिए जगह सुनिश्चिेत होती है.
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