जूट इंडस्ट्री से जुड़े लोग और जूट मिल काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि उन्हें जूट बैग की अधिक कीमत मिलने वाली है. जूट के बैग की कीमत तय करने के लिए केंद्र सरकार ने नई मूल्य निर्धारण पद्धति अपनाई है. इन जूट बैग का इस्तेमाल खाद्यान्न को पैक करने के लिए किया जाता है. सरकार की इस नई नीति से जूट बैग की कीमत में चार-पांच फीसदी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. इससे वित्तीय संकट से जूझती जूट इंडस्ट्री में नई जान आ सकती है और जूट की खेती करने वाले किसानों को भी इससे फायदा हो सकता है.
बता दें कि जूट उद्योग की तरफ से लंबे समय से जूट बैग की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग की जा रही थी. इसे देखते हुए आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने टैरिफ आयोग की रिपोर्ट के आधार पर बी ट्विल जूट बैग की नई मूल्य निर्धारण पद्धति को मंजूरी दे दी. मिलों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी एजेंसियां जूट के बोरे की खरीद करती हैं. इसका इस्तेमाल 100 फीसदी खाद्यान्न को पैक करने के लिए और 20 फीसदी चीनी को पैक करने के लिए किया जाता है. इससे जूट इंडस्ट्री को फायदा होगा. इस सेक्टर में चार लाख लोग काम करते हैं. वर्तमान में देश में 100 जूट मिलें चल रही हैं.
भारतीय जूट मिल एसोसिएशन की तरफ से जारी किए गए बयान के अनुसार, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 22 वर्षों के बाद टैरिफ आयोग कि सिफारिशों को स्वीकार किया है, जिसमें जूट के बोरे की कीमत बढ़ाने की बात कही गई है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सरकारी एजेंसी जो भी जूट की खरीद करेगी वह नई मूल्य निर्धारण पद्धति के अनुसार की जाएगी. इससे जूट इंडस्ट्री को बोरे की अच्छी कीमत मिलेगी. मिल को फायदा होगा. इससे इस क्षेत्र में स्थिरता आएगी. आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 28 अगस्त की बैठक में नई मूल्य निर्धारण पद्धति को मंजूरी दी है.
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जूट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने कहा कि इस बार जो नई मूल्य तय की गई है वह अधिक प्रमाणिक है क्योंकि इसके लिए कीमतों पर शोध किया गया है. यह अधिक पारदर्शी और बाजार में हो रहे बदलाव के आधार पर है. यह वर्तमान बाजार से अच्छा है क्योंकि यह अस्थायी कीमत प्रणाली पर चल रहा था. उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो बाजार दर थी, उससे जूट इंडस्ट्री पर अधिक बोझ पड़ रहा था.
पहले जूट बोरे की कीमत का निर्धारण सिर्फ आंकलन के आधार पर होता था, पर नई कीमत निर्धारण प्रणाली के तहत मिल के कई मापडंदो का खयाल रखा जाएगा. इसमें कच्चे माल की कीमत, मजदूरी और बिजली बिल जैसे तमाम पहलुओं को जोड़कर देखा गया है. इसलिए यह जूट इंडस्ट्री के लिए अधिक फायदेमंद साबित होगा. इंडिया जूट मिल एसोसिएशन के चेयरमैन राघवेंद्र गुप्ता ने 'बिजनेसलाइन' से बात करते हुए कहा कि माना जा रहा है कि नई मूल्य निर्धारण नीति के तहत प्रत्येक जूट बोरे की कीमत में 4-5 फीसदी की बढ़ोतरी होगी.
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वर्तमान समय में 580 ग्राम जूट के एक बोरे की कीमत 52-23 रुपये है. जूट मिलों से लगभग 72-75 फीसदी खरीद केंद्र सरकार ही करती है. सरकार हर साल 12,000 करोड़ बोरे की खरीद करती है, जिसका इस्तेमाल खाद्यान्न को पैक करने के लिए किया जाता है. इसके जरिए सरकार जूट उत्पाद के लिए एक तय बाजार उपलब्ध कराती है.
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