देश में इस बार भीषण गर्मी पड़ी है. इसके बाद मॉनसून में जबरदस्त बारिश भी हो रही है. अब उम्मीद की जा रही है कि इसके बाद कड़ाके की सर्दी का भी सामना करना पड़ सकता है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि इस बार सर्दियों में कड़ाके की ठंड का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल जब भी मॉनसून के अंत में सितंबर महीने के दौरान ला नीना सक्रिय होता है तो यह माना जाता है कि आने वाली सर्दियां गंभीर हो सकती हैं. यह तापमान में अधिक गिरावट आने के लिए जानी जाती है और इससे बारिश भी अधिक होती है.
आईएमडी के अनुसार, देश में ला नीना की स्थिति मॉनसून खत्म होने के बाद या उसके आखिरी सप्ताह के दौरान विकसित होने की संभावना है. ला नीना के सक्रिय रहने के दौरान, तेज़ पूर्वी हवाएं समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर धकेलती हैं, जिससे समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है. भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में यह सबसे अधिक होता है. हालांकि ला नीना से मॉनसून प्रभावित नहीं होता है पर सर्दियों की शुरुआत से पहले अगर यह सक्रिय हो जाता है तो दिसंबर से मध्य जनवरी तक बहुत अधिक ठंडे मौसम का सामना करना पड़ सकता है.
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आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि सितंबर और नवंबर के बीच ला नीना के सक्रिय होने की संभावना 66 फीसदी है. जबकि नंवबर से जनवरी 2025 की सर्दियों में यह उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित रहेगा. फिलहाल पश्चिमी प्रशांत महासागर में सतह का तापमान औसत से अधिक है, जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में औसत के करीब या नीचे बना हुआ है. चूंकि दोनों छोर के तापमान के बीच अंतर शून्य के करीब है. इसलिए एनसो न्यूट्रल परिस्थितियां बनी हुई हैं. IMD के मुताबिक, ला-नीना परिस्थितियां पैदा होने में देरी हुई है.
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बता दें कि भारत में आमतौर पर सितंबर के आखिरी सप्ताह से मॉनसून की वापसी शुरू हो जाती है. 15 अक्तूबर तक यह पूरी तरह से विदा हो जाता है. इसके चलते ला नीना का प्रभाव दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर पड़ने की संभावना नहीं है. ला नीना, अल नीनो के विपरीत है और ये दोनों एक दूसरे के उलट प्रभाव दिखाते हैं. अल नीनो से जहां बारिश की कमी होती है, सूखे की स्थिति पैदा होती है तो वहीं ला नीना से बहुत अधिक बारिश होती है और बाढ़ जैसी परिस्थितयां भी पैदा हो सकती हैं.
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