भारत के कृषि उत्पाद निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई है. बताया जा रहा है कि गेहूं चावल और प्याज जैसी कई कृषि वस्तुओं के निर्यात बंदी की वजह से ऐसा हुआ है. अप्रैल-फरवरी 2023-24 की अवधि में भारत का कृषि निर्यात 8.8 प्रतिशत कम होकर 43.7 बिलियन डॉलर रह गया. इसका कारण लाल सागर संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध को बताया जा रहा है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चावल, गेहूं, चीनी और प्याज जैसी वस्तुओं का एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ है. बहरहाल, अब कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्लान बनाने की योजना है.
इसके तहत ऐसे 20 से अधिक कृषि उत्पादों का चयन किया जा रहा है जो नियामक ढांचे के बाहर हैं. इनमें ताजे फल, सब्जियां, बासमती चावल, कुछ प्रसंस्कृत खाद्य और काजू शामिल हैं. एक अधिकारी ने बिजनेस लाइन को बताया कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपिडा) इस योजना पर काम कर रहा है. यह संस्था एक्सपोर्ट को बढ़ाने का काम करती है.
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एपिडा के एक अधिकारी ने बताया कि चावल, गेहूं, चीनी और प्याज जैसी वस्तुओं की निर्यातबन्दी से पिछले वित्त वर्ष में कृषि निर्यात लगभग 5-6 अरब डॉलर प्रभावित हुआ है. अधिकारी ने बताया, "देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये प्रतिबंध महत्वपूर्ण थे. हम इन वस्तुओं का निर्यात तभी कर सकते हैं जब हमारे पास जरूरत से ज्यादा हो.
सरकार ने कहा कि देश की कृषि जीडीपी में भी महत्वपूर्ण मंदी देखी गई. साल 2023-24 में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2022-23 में 4.7 प्रतिशत से कम है. हालांकि ताजे फल, भैंस का मांस, प्रसंस्कृत सब्जियां, बासमती चावल और केला का एक्सपोर्ट बढ़ा है. बासमती चावल का निर्यात अप्रैल-फरवरी 2023-24 में 22 प्रतिशत बढ़कर 5.2 बिलियन डॉलर हो गया, जो अप्रैल-फरवरी 2022-23 में 4.2 बिलियन डॉलर था.
इजराइल-ईरान युद्ध पर अधिकारी ने कहा कि निर्यात पर अब तक कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन यह एक उभरती हुई स्थिति है. उन्होंने कहा, हम (पश्चिम एशिया में) स्थिति पर नजर रख रहे हैं. एपिडा अपनी विकास क्षमता के आधार पर 20 वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत योजनाओं पर निर्यात संगठनों के साथ-साथ राज्य सरकारों के साथ काम कर रहा है. इनमें केले, आम, अनार, अंगूर, तरबूज, संतरा, प्याज, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, आलू, भिंडी, लहसुन, बासमती चावल, बेबी कॉर्न और कटहल सहित फल और सब्जियां शामिल हैं.
निर्यात के लिए समुद्री प्रोटोकॉल भी तैयार होगा. अधिकारी ने कहा, "पहचान की गई वस्तुओं का वैश्विक स्तर पर भारी कारोबार होता है और वर्तमान में भारत की इसमें बहुत कम हिस्सेदारी है. उचित रणनीति के साथ, प्रत्येक वस्तु में निर्यात कई गुना बढ़ सकता है.
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