बरसात के मौसम में आई फ्लू (Eye Flu) का प्रकोप बढ़ जाता है. ताजा मामला यूपी के गोरखपुर का है. जहां आई फ्लू (कंजेक्टिवाइटिस) की दस्तक से हड़कंप मच गया है. एक विद्यालय के छात्रावास की 30 छात्राओं में आई फ्लू की पुष्टि के बाद स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड में आ गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी लोगों को पूरी तरह से इस बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचने की सलाह दे रहे हैं.
गोरखपुर के सूर्यकुंड स्थित एक बालिका विद्यालय के छात्रावास में रहने वाली 150 छात्राओं में एक सप्ताह पहले आंखों में जलन, लाली, कीचड़ और पानी आने की शिकायत के बाद स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दी गई. दो दिन पहले 20 जुलाई को जब स्वास्थ्य महकमें को इसकी जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां पर हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं की जांच के लिए पहुंची. 150 में 30 छात्राओं में आई फ्लू (कंजेक्टिवाइटिस) की चिकित्सकों ने पुष्टि की. छात्राओं को जरूरी दवाएं देकर ठंडे पानी से आंख को धुलने और संक्रमण और गंदगी से बचने की सलाह दी गई.
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मामले में गोरखपुर के सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने किसान तक से बातचीत में बताया कि बारिश के मौसम में वायरल, बैक्टीरियल और फंगल डिजीजेज बढ़ जाती है. अभी उनके यहां जिला चिकित्सालय, सीएचसी और पीएचसी में छुटपुट केस आ रहे हैं. एक छात्रावास में 50 से 60 बच्चियों की आंख में लालिमा, करकराहट और जलन की सूचना मिली. वहां पर चिकित्सकों की टीम को भेजकर जांच और दवा उपलब्ध कराई है.
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उन्होंने कहा कि आंखों को दुरुस्त रखने के लिए उन्हें नम रखना सबसे बेहतर तरीका है. हर दो से तीन घंटे पर ठंडे पानी से आंखों को धुले और अनावश्यक किसी चीज को छूने के बाद आंखों को मलने से बचें. घर से बाहर निकलने पर धूप का चश्मा लगाएं. पावर के चश्मे को किसी संक्रमित टेबल और अन्य स्थानों पर न रखें. किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर चिकित्सक को दिखाएं और दवाएं लें.
आई फ्लू को कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आई भी कहा जाता है. यह आंखों के सफेद हिस्से में होने वाले संक्रमण है. बरसात के मौसम में यह बहुत आम है. इसके अधिकतर मामले सर्दी-खांसी वाले वायरस की वजह से बढ़ते हैं. कुछ मामलों में विशेषकर बच्चों में जीवाणु संक्रमण भी इसकी वजह हो सकती है.
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