मुंहपका-खुरपका रोग के आने पर पशु को तेज बुखार हो जाता है. बीमार पशु के मुंह, मसूड़े, जीभ के ऊपर नीचे ओंठ के अंदर का भाग खुरों के बीच की जगह पर छोटे-छोटे दाने से उभर आते हैं. फिर धीरे-धीरे ये दाने आपस में मिलकर बड़ा छाला बनाते हैं. समय पाकर यह छाले फल जाते हैं और उनमें जख्म हो जाता है. ऐसी स्थिति में पशु जुगाली करना बंद कर देता है. मुंह से तमाम लार गिरती है. पशु सुस्त पड़ जाते हैं. कुछ भी नहीं खाता-पीता है. खुर में जख्म होने की वजह से पशु लंगड़ाकर चलता है. पैरों के जख्मों में जब कीचड़ मिट्टी आदि लगती है तो उनमें कीड़े पड़ जाते हैं और उनमें बहुत दर्द होता है. पशु लंगड़ाने लगता है. दुधारू पशुओं में दूध का उत्पादन एकदम गिर जाता है. इस वीडियो में जानें मुंहपका-खुरपका रोग से कैसे बचाव करें.
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