ग्रामीण किसान खेती के साथ बकरी पालन पुराने समय से करते आ रहे हैं. वहीं आज दुनियाभर में विश्व बकरी दिवस मनाया जा रहा है. यह दिवस बकरी से जुड़े तथ्यों और पालन से होने वाले फायदों के बारे में बताने के लिए मनाया जाता है. मालूम हो कि बकरियों को गरीबों की गाय भी माना जाता है. वहीं बकरी पालन में सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके लिए बाजार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हो जाता है जिससे बाजार की कोई समस्या नहीं रहती है. किसानों के लिए बकरियों की उपयोगिता इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनसे जैविक खाद के अलावा मांस और दूध भी मिलता है.
अगर आप भी छोटे स्तर पर पशुपालन से जुड़ा व्यवसाय करना चाहते हैं, तो बकरी पालन कर सकते हैं. ऐसे में आइए विश्व दिवस के मौके पर बकरी पालन से जुड़े रोचक बातों के बारे में जानते हैं-
• दुनियाभर में बकरियों की लगभग 300 से ज्यादा नस्लें पाई जाती हैं.
• बकरियों का गर्भकाल लगभग 5 से 6 महीने का होता है और एक बकरी एक साल में दो बार बच्चे दे सकती है.
• विश्व में सबसे ज्यादा बकरी का ही मांस खाया जाता है.
• बकरी एक जगह खड़ी होकर भी 300 डिग्री से अधिक देख सकती है यानी वह एक ही जगह खड़ी रहकर अपने चारों तरफ ऊपर नीचे हर जगह देख सकती है.
• बकरियों की कई ऐसी नस्लें हैं जिनमें नर बकरे के साथ-साथ मादा बकरियों के भी दाढ़ी आती है.
• बकरी की औसत आयु 12-15 वर्ष होती है.
• मादा बकरियों में प्रजनन क्षमता लगभग 7 से 8 वर्ष की आयु तक बनी रहती है.
• बकरियों को हमेशा खाने की आदत होती है. सामान्यतः बकरियां एक दिन में साढ़े तीन से लेकर चार किलो तक हरा चारा खाती है.
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• बकरी पालन लगभग 10 हजार सालों से मांस और दूध के लिए पाला जा रहे हैं.
• गायों की दूध की तरह ही बकरियों के दूध में भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं.
• बकरियों को अकेला रहना पसंद नहीं होता है, वो हमेशा समूह में रहना पसंद करती हैं.
• बकरी के बच्चे जन्म के बाद कुछ ही मिनटों में चलने व मिमयाने लगते हैं यानी बोलने लगते हैं.
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