चना एक महत्वपूर्ण दलहन फसल है. यह शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. भारत का दलहन उत्पादन में अग्रणी स्थान है. देश के कुल दलहन उत्पादन में लगभग 45 प्रतिशत का योगदान करने वाला चना सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व उत्तर प्रदेश प्रमुख चना उत्पादक राज्य हैं, और ये मिलकर चने के अंतर्गत कुल राष्ट्रीय क्षेत्र और उत्पादन में 89.46 तथा 88.4 प्रतिशत का योगदान देते हैं. दलहन फसलों के उत्पादन में कमी की वजह से इस साल चने के दाम में भी काफी उछाल है. इसकी दाल भी महंगी हो गई है. फिलहाल, आज हम यहां चने के उत्पादन से ज्यादा सेहत को लेकर उसे फायदों पर बात करेंगे.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार चने के संपूर्ण दाने में कार्बोहाइड्रेट की कुल मात्रा 52.4 से 70.9 प्रतिशत के बीच पाई गई है. स्टार्च, चने का प्रमुख तत्व कार्बोहाइड्रेट है और 37.2 से 50.8 प्रतिशत की रेंज में पाया जाता है. छिलके वाली दाल में 55.3 से 58.1 प्रतिशत स्टार्च होता है. कृषि वैज्ञानिक गोविंद कांत श्रीवास्तव, राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, ब्रह्म प्रकाश, ओम प्रकाश और कामिनी सिंह बताते हैं कि काबुली किस्मों की तुलना में देसी किस्मों में स्टार्च की मात्रा कम होती है. चने के बीजों में प्रोटीन की मात्रा 18.0 से 30.6 प्रतिशत के मध्य तथा औसतन 24.0 प्रतिशत होती है.
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इन कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि चने के बाहरी हिस्से में अंदर के हिस्से से ज्यादा प्रोटीन होता है. बीज की प्रोटीन सामग्री में भिन्नता जीन प्रारूपों में विभिन्नता, पर्यावरणीय कारकों और उर्वरक उपयोग के कारण होती है. चने में शुगर की मात्रा 4.8 से 9.3 प्रतिशत के बीच होती है. चने के सेवन से पेट में गैस बनाने वाले प्रभावी उत्तरदायी रेफिनोज परिवार के ओलिगोसैक्राइड्स देसी प्रकार की तुलना में काबुली चने में अधिक दर्ज किए गए हैं.
चने के बीजों में मूंग, मसूर की तुलना में रेफिनोज, स्टेकाइरोज तथा वर्बेसकोज की अधिक मात्रा होने के कारण पेट में गैस अधिक बनती है. चने में क्रूड फाइबर की मात्रा 7.1 से 13.5 प्रतिशत के बीच होती है, जिसमें सेल्युलोज और हेमीसेल्युलोज प्रमुख घटक होते हैं. देसी चने में क्रूड फाइबर की मात्रा अधिक होती है. दाल और संपूर्ण बीज के कैलोरी मान और पोषक तत्वों के उपयोग के मामले में काबुली चना, देसी चना से बेहतर होता है. काबुली चने में सेल्युलोज और हेमीसेल्युलोज की मात्रा कम होती है.
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