पानी से भी बीमार होती हैं मुर्गियां, जानें कितना होना चाहिए टीडीएस लेवल

पानी से भी बीमार होती हैं मुर्गियां, जानें कितना होना चाहिए टीडीएस लेवल

ब्रॉयलर बर्ड 30 से 35 दिन में तैयार होकर बिक जाती है इसलिए इस पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है. जबकि लेअर बर्ड ढाई से तीन साल तक पाली जाती है और अंडे की क्वालिटी बनाए रखने के लिए उसके पानी का खास खायाल रखना पड़ता है.

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पानी से भी बीमार होती हैं मुर्गियां, जानें कितना होना चाहिए टीडीएस लेवलpoultry

मुर्गियों में होने वाली बीमारियों के लिए सिर्फ हवा से फैलने वाला इंफेक्शमन ही जिम्मे दार नहीं होता है. अगर मुर्गियों को पिलाए जाने वाले पानी पर ध्यान नहीं दिया तो भी मुर्गी बीमार पड़ सकती हैं. जिस तरह से एक पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों के दाने पर ध्यान दिया जाता है, ठीक उसी तरह से दिए जाने वाली पानी की भी समय-समय पर जांच करना बहुत जरूरी है. ऐसा करके आप अपने पोल्ट्री  शेड को कई तरह की बीमारियों से बचा सकते हैं.

ब्रॉयलर बर्ड के मुकाबले अंडा देने वाली लेअर बर्ड में पानी का बहुत खास खायाल रखा जाता है. हालांकि कुछ एक्सपर्ट ब्रॉयलर बर्ड के लिए भी जरूरत के हिसाब से पानी की मात्रा बताते हैं, लेकिन ब्रॉयलर बर्ड 30 से 35 दिन में तैयार होकर बिक जाती है इसलिए इस पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है. जबकि लेअर बर्ड ढाई से तीन साल तक पाली जाती है और अंडे की क्वालिटी बनाए रखने के लिए उसके पानी का खास खायाल रखना पड़ता है.

जानें कितना होना चाहिए पानी का टीडीएस लेवल

पोल्ट्री संचालक मनीष शर्मा का कहना है कि पोल्ट्री फार्म में बर्ड को पानी आप जमीन से निकला पिला रहे हैं या फिर वॉटर वर्क्स की सप्लाई वाला, पानी की जांच करना जरूरी है. सबसे पहले पानी के टीडीएस की जांच करें. किसी भी हाल में पानी का टीडीएस लेवल 300 से ज्यादा नहीं होना चाहिए. रहा सवाल पीएच का तो इसका लेवल अपने इलाके में पानी की उपलब्धता और पानी के रिसोर्स पर भी निर्भर करता है.

फीडर में पानी जमा न होने दें

जिस फीडर में मुर्गियों के लिए पानी रखा जा रहा है उसमे बहुत देर तक पानी को जमा न होने दें. ऐसा होने से पानी प्रदूषित हो सकता है. जितनी जरूरत हो उसके हिसाब से दिन में दो-तीन बार में पानी देते रहें. पानी का स्टाक न होने दें. अगर पानी जमा भी हो रहा है तो पानी में ब्लीेचिंग पाउडर मिलाकर उसे प्रदूषण मुक्त रखें.

पानी की मात्रा कम होने से भी बीमार होती हैं मुर्गियां

जैसे-जैसे चूजों (चिक्स) की उम्र बढ़ती जाती है वैसे ही उनकी पानी की जरूरत भी बढ़ती है. खासतौर पर गर्मियों के मौसम में मुर्गियों को पीने के पानी की बहुत जरूरत होती है. एक्सपर्ट की मानें तो अंडा देने वाली मुर्गियों के मुकाबले चिकन के लिए पाली जाने वालीं ब्रॉयलर मुर्गियों को पानी की जरूरत ज्यादा होती है. क्योंकि दोनों के दाने में बहुत फर्क होता है. ब्रॉयलर मुर्गी दाना भी ज्यादा खाती हैं. ब्रॉयलर का दाना सूखा होता है तो इस वजह से उन्हें पानी की भी ज्यादा जरूरत होती है.      

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