सेहत को अच्छा रखने के लिए सब्जियों को काफी फायदेमंद माना जाता है. इसलिए लोग अलग-अलग प्रकार की सब्जी खाना पसंद करते हैं. ऐसे में कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देते हैं. ऐसी ही एक सब्जी की किस्म संपन्न है. इस सब्जी की गर्मी के दिनों में डिमांड बढ़ जाती है. तोरई की इस किस्म की किसानों में खूब डिमांड रहती है. किसान मार्च में इसकी खेती कर बेहतर उपज और कमाई करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं संपन्न किस्म की क्या खासियत है. साथ ही इसके उन्नत किस्मों के बारे में भी जान लेते हैं.
संपन्न किस्म: तोरई की संपन्न किस्म के बीज की ये खासियत होती है इसके फल चिकने और बिना बालों वाले होते हैं. इस किस्म के तोरई हल्के हरे होते हैं. इसके एक बेल में 12 से 16 फल आता है. साथ ही यह किस्म वसंत, गर्मी और खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है. इसकी गर्मी वाले फलों की तुडाई 50-55 दिनों में की जाती है.
916 Rio किस्म: ये तोरई की एक खास किस्म है. इस किस्म की खासियत ये है कि इसके फल चिकने होते हैं. वहीं इस किस्म की तोरई का औसत वजन 200-250 ग्राम होता है. साथ ही ये किस्म 110-120 दिनों में तैयार हो जाती है. इसके अलावा इस किस्म की खेती भारत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, यूपी, गुजरात, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली में की जाती है.
पूसा सुप्रिया किस्म: तोरई की पूसा सुप्रिया किस्म के बीज की ये खासियत होती है इसके फल बिना बालों वाले होते हैं. इस किस्म की तोरई हल्के हरे रंग की होती है. इसके एक बेल में 12 से 16 फल आता है. साथ ही यह किस्म वसंत, गर्मी और खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है. इसके गर्मी वाले फलों की तुड़ाई 50 दिनों में और खरीफ में उगाए गए फल 45 दिन में तैयार हो जाते हैं और औसत उपज 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.
तोरई की खेती करने से पहले खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करनी होती है. उसके बाद खेतों को कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ दें, ताकि उसको अच्छे से धूप लग सके. इसके बाद खेत में 15 से 20 टन गोबर की पुरानी खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल कर खेत की हल्की जुताई करें. ऐसा करने से मिट्टी में खाद अच्छी तरह से मिल जाता है. इसके बाद खेत में रोटावेटर लगा कर मिट्टी को भुरभुरा कर लें. उसके बाद खेतों में बीजों को लगाएं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today