चावल का कारोबार करने वाली आंध्र प्रदेश की एग्रीबिजनेस फर्म पट्टाभि एग्रो फूड (Pattabhi Agro Food) बांग्लादेश को सस्ती दर में 50 हजार टन उबला चावल निर्यात करेगी. दरअसल, पट्टाभि ने सबसे कम दाम की बोली लगाकर टेंडर अपने नाम किया है. बोली लगाने वालों में हलदर वेंचर, बागड़िया ब्रदर्स समेत कई दिग्गज एग्री फूड कंपनियां शामिल थीं. इसके अलावा 50 हजार टन चावल आपूर्ति का एक और टेंडर अभी खुलना बाकी है, जिसको लेकर कंपनियों में होड़ मची हुई है. बता दें कि कुछ सप्ताह पहले केंद्र सरकार ने चावल निर्यात पर लगे प्रतिबंधों और एमईपी को हटाया है, जिसके बाद चावल शिपमेंट में तेजी देखी जा रही है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश सरकार की ओर से 50,000 टन उबले चावल की आपूर्ति के लिए जारी किए गए पहले टेंडर को पट्टाभि एग्रो फूड ने सबसे कम 477 डॉलर प्रति टन की बोली लगाकर अपने नाम कर लिया है. इसके साथ ही सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी बन गई है. बता दें कि बांग्लादेश सरकार 5 लाख टन चावल खरीद की प्रक्रिया में है, जिसे 50 हजार टन या इससे कम मात्रा में कई किस्तों में भेजा जा सकता है.
व्यापार सूत्रों ने बताया कि टेंडर में बोलनी लगाने वाले हलदर वेंचर ने 499.77 डॉलर प्रति टन की बोली लगाई. इसके अलावा हलदर वेंचर्स ने चार सोर्स भारत, म्यांमार, थाईलैंड और वियतनाम से चावल की आपूर्ति करने की पेशकश भी की. सूत्रों ने बताया कि टेंडर हासिल करने के लिए कंपटीशन इतना तेज था कि कि एक और बोली लगाने वाली फर्म बागड़िया ब्रदर्स ने 477.77 डॉलर प्रति टन की दर से आपूर्ति करने की पेशकश की, जो सबसे कम बोली लगाने वाले पट्टाभि एग्रो से केवल 0.77 डॉलर प्रति टन ज्यादा थी.
सूत्रों ने बताया कि अन्य बोली लगाने वाली फर्म में एसएईएल एग्री कमोडिटीज ने 494.45 डॉलर प्रति टन, एग्रोकॉर्प इंटरनेशनल ने 490.56 डॉलर प्रति टन और आदित्य बिड़ला ग्लोबल ट्रेडिंग (सिंगापुर) ने 479.50 डॉलर प्रति टन की बोली लगाई. बता दें कि 20 अक्टूबर को बांग्लादेश के खाद्य मंत्रालय ने सीआईएफ लाइनर आउट टर्म पर 50,000 टन गैर बासमती उबले चावल की आपूर्ति के लिए भारत की ओर से निर्यात प्रतिबंध हटने के बाद पहला वैश्विक टेंडर जारी किया था. इसमें से चटगांव बंदरगाह में 30,000 टन और मोंगला बंदरगाहों पर 20,000 टन की आपूर्ति होनी है.
बांग्लादेश के खाद्य मंत्रालय ने 4 नवंबर को 50,000 टन के लिए एक और टेंडर जारी किया है, जिसे आगामी 18 नवंबर को खोला जाएगा. भारतीय चावल निर्यातकों ने कहा कि 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को हटाने और निर्यात शुल्क को समाप्त करने के हालिया फैसलों ने उन्हें वैश्विक स्तर पर निर्यात करने में मदद की है. हालांकि, इससे भारतीय निर्यातक कंपनियों के बीच कंपटीशन शुरू हो गया है.
चालू वित्त वर्ष में 30 सितंबर तक भारत का गैर बासमती चावल निर्यात 46.52 लाख टन तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 68.81 लाख टन था. चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने कहा कि खरीफ फसल की आवक जोरों पर है, निर्यात प्रतिबंधों को हटाने के सरकार के फैसले से अनाज बाजार में काफी नकदी लाने में मदद मिली है. रबी फसल की संभावनाएं भी अच्छी दिख रही हैं, इसलिए भारत को उम्मीद है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खोए हुए बाजारों को फिर से हासिल कर लेगा.
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