चैत्र महीने से हिंंदू पंचांग के अनुसार नया साल शुरू हो जाता है. चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी पहले दिन से ही नया साल शुरू होता है. यानी 22 मार्च 2023 बुधवार से हिंदू पंचांग के अनुसार विक्रमी संवत 2080 शुरू हो गया है. इसके साथ ही नया पंचांग भी लागू हो गया है. हिंदू पुरातन परांपराओं में पंचांग की विशेष महत्व है. ज्योतिष गणना से पंचांग में पूरे साल के घटनाक्रम को रेखांकित किया जाता है. ये परंपराएं आज भी देश के कई हिस्सों में हैं, जो प्रतिपदा के दिन पंचांग पढ़ा जाता है. जिसका उद्देश्य ज्योतिष गणना से पंचांग में रेखांकित की गई पूरे साल की घटनाओं की जानकारी जनमानस तक पहुंचाना है. इसी परपंरा को आधार मान कर खेती-किसानी के लिए विक्रमी संवत 2080 कैसा रहेगा, इसकी ज्योतिष गणना की जानकारियां प्रस्तुत हैं.
प्रश्न ये उठता है कि ज्योतिष हमारी कृषि में कैसे मदद कर सकती है? लेकिन सच ये है कि ज्योतिष और कृषि के बीच का संबंध नया स्थापित नहीं हुआ है. भारत समेत कई देशों में हजारों साल पहले से ज्योतिष का खेती में बहुत अच्छे से उपयोग किया जा रहा है. विशेषरूप से पृथ्वी पर होने वाली घटनाएं, हमारे राशि चक्र में ग्रहों की गतियां प्रभावित करती हैं. ये सच है कि मौसम की जानकारी, फसल की जानकारी, फसल बोने का समय, फसल काटने का समय भी ज्योतिष गणना के आधार पर तय किया जा सकता है. इसके अलावा हमारी पृथ्वी पर जो प्राकृतिक आपदाएं होती हैं वो आनी वाली हैं या फिर संभावना है, तो उसके बारे में पता लग जाता है. दूसरा यह है कि उससे निपटने के लिए भी कुछ उपाय भी ज्योतिष में बताए गए हैं.
पंचांग की गणना नौ ग्रहों के चाल पर आधारित होती हैं. ज्योतिष में बारिश, सूखा, आंधी, बाढ़, अकाल, समृद्धि समेत सभी तरह की घटनाओं की गणना इन्हीं ग्रहों की चाल के आधार पर की जाती है. ग्रहों की चाल की बात करें तो अभी तो गुरु ग्रह, मीन राशि में स्थित है और 22 अप्रैल 2023 को मेष राशि में प्रवेश कर जाएगा. शनि ने 17 जनवरी को कुंभ राशि में प्रवेश किया था और वो पूरे साल कुंभ राशि में बना रहेगा. राहु और केतु का जहां तक सवाल है तो राहु इन दिनों मेष राशि में है और केतु तुला राशि में है. अब इनका मूवमेंट 29 नवंबर 2023 को होगा. जिसमें राहु मेष राशि से मीन राशि में जाएगा और केतु तुला राशि से कन्या राशि में जाएगा.
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इसके अलावा कुछ ग्रह वक्रीय होता है. जिसका ज्यादा प्रभाव हमारी पृथ्वी के ऊपर पड़ता है. गुरु चार सितंबर से 31 दिसंबर तक वक्रीय रहेगा. शनि ग्रह 17 जून से 4 नवंबर तक वक्रीय रहेगा और इसके अलावा कुछ ग्रहण भी इस साल पड़ेंगे.
इस साल 20 अप्रैल को पहला सूर्य ग्रहण पड़ेगा, जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण 15 अक्तूबर को पड़ेगा. वही चंद्र ग्रहण 6 मई और 28 अक्तूबर को पड़ेगा. अगर हम इन सभी ग्रहों का विचार करें और जो भी हमारा सूर्य है, चंद्र है या बाकी जो भी ग्रह हैं उनका विचार करें तो हम यह कह सकते हैं कि 2023 में क्या-क्या होने की संभावना है.
अप्रैल महीने तक किसानों को मौसम से सावधान रहने की जरूरत है. असल में अप्रैल तक मौसम भी बहुत अच्छा नहीं रहेगा और इसके कारण किसानों के फसल का नुकसान भी हो सकता है. ये हालात गुरु के मेष राशि में गोचर बने रहने तक रहेंगे. 22 अप्रैल को गुरू मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं. तब तक किसानों को सावधान रहने की जरूरत है. वहीं ज्योतिष के हिसाब से जुलाई-अगस्त में कुछ प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं या मौसम भी खराब हो सकता है. लेकिन पूरे साल किसानों के लिए बहुत अच्छा रहने वाला है.
ज्योतिष गणना के अनुसार सरकार इस साल किसानों को लेकर बहुत सारे अच्छे कदम उठाएगी. नई-नई योजनाएं बनाएगी. खासतौर से छोटे किसानों को बहुत लाभ होगा. जिसमें फसल बेचने को लेकर, लोन या सब्सिडी देने को लेकर, बीज और खाद के क्षेत्र में सरकार की तरफ से मदद दिए जाने की गणना है.
जैसा कि सभी को मालूम है खासतौर से भारत ने मोटे अनाजों को लेकर जो पहल की थी और यूएन ने साल 2023 को मिलेट ऑफ द ईयर घोषित किया है. उसको भारत में ही नहीं पूरे संसार में बढ़ावा मिलेगा. ज्यादा लोकप्रिय बनेंगे तो इससे हमारे किसानों को भी फायदा होगा. मिलेट्स के क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों और स्टार्टअप्स के लिए नए अनुसंधान करने की संभावना बढ़ेंगी. इससे भी हमरे किसानों को काफी लाभ होगा. तो कहने का अर्थ ये है कि जैसे ही गुरु का जो मूवमेंट है मेष राशि में होगा, तब से इस साल में किसानों के लिए अच्छे साल की शुरुआत होगी.
डिस्क्लेमर: अनिल कुमार जैन भारत सरकार के डीजीएस एंड डी में पूर्व एडिशनल डीजी रहे हैं. जैन पिछले 30 सालों से ज्योतिष गणना करते रहे हैं. ये उनके निजी विचार हैं.
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