रबी फसल की कटाई के बाद गरमा धान की रोपाई शुरू हो गयी है. कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा के लिए किसान अपने खेतों में गरमा धान लगाते हैं. भारत में विशेष रूप से धान की बुआई खरीफ मौसम में की जाती है. देश में लाखों किसान धान की खेती करते हैं. भारत में सबसे अधिक धान की खेती पश्चिम बंगाल में की जाती है. यहां करीब 54.34 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है. यहां लगभग 146.06 लाख टन धान का उत्पादन होता है. इसके अलावा धान की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी की जाती है. खरीफ का मौसम आने वाला है और किसान बारिश से पहले धान की खेती की तैयारी शुरू कर देंगे.
फसल उत्पादन में बीज सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग किया जाए तो अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में धान का अधिक उत्पादन लेने के लिए किसानों को उन्नत गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करना चाहिए. वहीं गरमा धान की खेती कर किसान कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं. यह 90 दिनों में पककर तैयार हो जाता है.
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रबी फसल की कटाई के बाद खेत खाली रह जाते हैं, ऐसे में किसान खेतों को खाली छोड़ने के बजाय गरमा धान लगाते हैं ताकि वे अधिक मुनाफा कमा सकें. गरमा धान की कटाई भी कम समय में की जा सकती है. हालांकि गर्मी के दिनों में पानी की थोड़ी दिक्कत होती है लेकिन यह धान मात्र 90 से 120 दिनों में पक जाता है और फिर बरसाती धान की रोपाई शुरू कर दी जाती है.
किसानों का कहना है कि वो एक ही खेत में तीसरी फसल लेने से किसानों को फायदा होता है. किसान अपने खेत में गरमा धान भी लगाया है और अन्य किसानों को भी गरमा धान लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
गरमा धान ग्रीष्म ऋतु में उगाई जाने वाली फसल है. इसके प्रयोग से किसान कम लागत और कम समय में आत्मनिर्भर बन सकते हैं. वैसे भी रबी फसल की कटाई के बाद खेत खाली रहते हैं, किसानों को इसका फायदा उठाना चाहिए.
यह गरमा धान है जो कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा देता है. इसकी रोपाई अप्रैल-मई माह में की जाती है. उस समय रबी का मौसम समाप्त हो जाता है. ऐसे में किसान खाली पड़े खेतों में गरमा धान लगाते हैं और धान कम समय यानी 90 दिनों के अंदर सुनहरे रंग के साथ तैयार हो जाता है. धान की कटाई जुलाई माह में की जाती है.
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