Explainer: क्या होता है ग्रीन टैक्स, इस खबर में जानिए पूरी बात

Explainer: क्या होता है ग्रीन टैक्स, इस खबर में जानिए पूरी बात

ग्रीन टैक्स से ही राजस्थान सरकार ने पिछले पांच साल में 1024 करोड़ रुपये की कमाई की है. इसीलिए यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर ये ग्रीन टैक्स है क्या? इस पैसे से क्या काम कराए जाते हैं? इन सवालों के जवाब हम आपको इस रिपोर्ट में देंगे, लेकिन उससे पहले यह जान लें कि ग्रीन टैक्स होता क्या है? 

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Explainer: क्या होता है ग्रीन टैक्स, इस खबर में जानिए पूरी बातक्या होता है ग्रीन टैक्स? समझिए इस एक्प्लेनर के माध्यम से. GFX- Sandeep Bhardwaj

हम और आप जब भी कोई वाहन खरीदते हैं तो उस पर राज्य सरकार कई तरह के टैक्स वसूल करती है. इसमें रोड टैक्स, आरटीओ, सेल टैक्स और ग्रीन टैक्स जैसे टैक्स शामिल होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन टैक्स में से अकेले ग्रीन टैक्स से ही राजस्थान सरकार ने पिछले पांच साल में 1024 करोड़ रुपये की कमाई की है. इसीलिए यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर ये ग्रीन टैक्स है क्या? इस पैसे से क्या काम कराए जाते हैं?

इन सवालों के जवाब हम आपको इस रिपोर्ट में देंगे, लेकिन उससे पहले यह जान लें कि ग्रीन टैक्स होता क्या है? 

क्या है ग्रीन टैक्स?

साधारण भाषा में समझें तो ग्रीन टैक्स किसी के द्वारा वाहन खरीदने पर लगाया जाता है. यह राशि राज्य सरकार तय करती है, इसीलिए देश में अलग-अलग राज्यों में ग्रीन टैक्स की रेट भी अलग-अलग है. राजस्थान में ग्रीन टैक्स राजस्थान मोटरयान कराधान अधिनियम 1951 यानी राजस्थान मोटर व्हीकल टैक्सेशन एक्ट के तहत लिया जाता है. राज्य सरकार यह टैक्स नए और पुराने सभी वाहनों पर लेती है. हालांकि यह कहना बेहद मुश्किल है कि आपकी ओर से चुकाया गए ग्रीन टैक्स से पर्यावरण सुधार पर  कितना खर्चा हुआ?

क्या है ग्रीन टैक्स का उपयोग?

ग्रीन टैक्स से कमाई गई राशि राजस्थान ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड में जाती है. इस फंड में ग्रीन टैक्स के अलावा स्टांप ड्यूटी पर सेस, वाहनों पर लगाया सेस, केन्द्र और राज्य सरकार से मिला पैसा और सीएसआर का पैसा भी जाता है. इस राशि में से राजस्थान मोटर व्हीकल टैक्सेशन एक्ट 1951 के तहत एकमुश्त और अन्य टैक्सों के सेस में 11 अक्टूबर 2017 को बढ़ोतरी हुई थी. यह बढ़ी हुई राशि रोडवेज यानी राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम को दी जाती है.

इस पैसे को अलग करने के बाद बची हुई रकम स्वायत्त शासन विभाग और परिवहन एवं सड़क सुरक्षा विभाग के माध्यम से 75:20 के अनुपात में कई विभागों को दी जाती है. इनमें जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम एवं शहरी बस सेवाओं जैसे जेसीटीएसएल, कोटा बस सर्विस लि० अजमेर बस सर्विस लिमिटेड व अन्य संभागीय मुख्यालयों पर चल रही शहरी बस सेवाओं में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सब्सिडी के रूप में दी जाती है.

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इसके अलावा आरओबी, आरयूबी, शहरी गौरव पथ, पार्किंग निर्माण, नगरीय निकायों में आधारभूत विकास के कामों के लिए भी इस पैसे का उपयोग होता है. इसीलिए किसी क्षेत्र विशेष जिले में ग्रीन टैक्स की मिली राशि किस काम में खर्च हुई, सरकार के पास यह जानकारी नहीं रहती. 

पिछले पांच साल में 1024 करोड़ अकेले ग्रीन टैक्स से कमाए सरकार ने

राजस्थान सरकार ने बीते पांच साल में वाहनों पर लगाए जाने वाले ग्रीन टैक्स से 1024.40 करोड़ रुपये की कमाई की है. इसमें साल 2018-19 में 173.15 करोड़, 2019-20 में 218.47 करोड़, 2020-21 में 173.84 करोड़, 2021-22 में 222.72 करोड़ और 2022-23 में 236.22 करोड़ की कमाई सरकार ने की है. 

राजस्थान सरकार की ओर से वसूला गया ग्रीन टैक्स सालवार. GFX- Sandeep Bhardwaj

पर्यावरण संरक्षण पर यह पैसा खर्च होता है या नहीं, कोई नहीं जानता?

नए-पुराने वाहनों पर लगने ग्रीन टैक्स के नाम पर सरकार करोड़ों में कमाई करती है. लेकिन यह कोई नहीं जानता कि ग्रीनरी बढ़ाने या पर्यावरण संरक्षण में इस टैक्स की राशि में से कितना खर्च किया जाता है. राजस्थान ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड को खर्च करने की जिम्मेदारी लोकल सेल्फ डिपार्टमेंट की होती है.

इसमें यूडीएच मंत्री, मुख्य सचिव सहित शहरी विकास विभागों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. इस फंड से पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को सुधारना, एलपीजी और सीएनजी को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में प्रमोट करने के साथ-साथ पौधे लगाने पर होना होता है.

जयपुर में सिर्फ 100 बसें रह गईं, ना सीएनजी बस, वर्षों से इंतजार

जयपुर शहर जोकि राजस्थान की राजधानी भी है. इसमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बुरी हालत है. शहर की 50 लाख से ज्यादा की आबादी पर सिर्फ 100 लो-फ्लोर बसें ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर चल रही है. साल 2009-10 में 408 बसें चलाई गईं थी. बीते एक दशक में यह अब घटकर 100 ही रह गई है.

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बाकी शहरों में भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बुरी हालत में है. इससे स्पष्ट है कि ग्रीन टैक्स का उपयोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने में भी नहीं किया जा रहा जोकि इसका मुख्य उद्देश्य है. 

दुनिया से सबसे प्रदूषित शहरों में राजस्थान के दो शहर

ग्रीन टैक्स का उपयोग पर्यावरण संरक्षण में भी किया जाना चाहिए. इसमें पौधे लगाना सबसे आसान काम है.लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान के दो शहर जयपुर और जोधपुर दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों की फेहरिस्त में शामिल हैं.  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सालाना रिपोर्ट में यह आंकड़े हर साल सामने आते हैं. 

हालांकि परिवहन मंत्री बृजेन्द्र ओला ने विधानसभा में कहा कि पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से मिली सूचना के अनुसार डव्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में जयपुर, जोधपुर दुनिया के सबसे प्रदूषित 15 शहरों की सूची में शामिल होने के संबंध में अधिकृत सूचना उपलब्ध नहीं है.


 

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