Flower Farming: दुनिया का सबसे महंगा फूल, इसकी खुशबू में छिपा है लाखों का मुनाफा

Flower Farming: दुनिया का सबसे महंगा फूल, इसकी खुशबू में छिपा है लाखों का मुनाफा

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दुनिया में कई ऐसे फूल हैं जो अपनी खूबसूरती और खुशबू के लिए मशहूर हैं, लेकिन कीमत के मामले में अगर किसी फूल का नाम सबसे ऊपर आता है तो वह है केवड़ा. केवड़ा के फूल से निकलने वाला तेल अंतरराष्ट्रीय बाजार में इतना महंगा बिकता है कि इसकी कीमत 5 लाख रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाती है. यही वजह है कि इसे दुनिया के सबसे महंगे फूलों में गिना जाता है.आज जब पारंपरिक फसलों में लागत बढ़ रही है और मुनाफा घट रहा है, ऐसे में केवड़ा जैसी खुशबूदार और औषधीय फसल किसानों के लिए एक बड़ा विकल्प बन सकती है. सही तकनीक और मार्केटिंग के साथ केवड़ा की खेती किसानों की किस्मत बदलने की क्षमता रखती है.

केवड़ा का फूल क्या है

केवड़ा एक सुगंधित पौधा है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Pandanus Odorifer कहा जाता है. इसके फूल बेहद खुशबूदार होते हैं और इन्हीं फूलों से केवड़ा जल और केवड़ा तेल तैयार किया जाता है. भारतीय मिठाइयों, इत्र, अगरबत्ती, पान मसाला और आयुर्वेदिक दवाओं में केवड़ा की खुशबू का खास इस्तेमाल होता है. भारत में केवड़ा की खेती मुख्य रूप से ओडिशा के गंजाम जिले में होती है. खासकर छत्रपुर, गंजाम और आसपास के तटीय इलाकों में केवड़ा की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ तटीय क्षेत्रों में भी इसकी खेती देखने को मिलती है. ओडिशा का गंजाम जिला देश में केवड़ा उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. यहां की जलवायु और मिट्टी केवड़ा के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.

केवड़ा की खेती कैसे होती है

केवड़ा की खेती के लिए रेतीली और हल्की मिट्टी सबसे बेहतर होती है. यह पौधा समुद्री तटीय इलाकों में अच्छी तरह पनपता है. इसकी खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन नमी बनी रहनी चाहिए. केवड़ा का पौधा आमतौर पर कलम या जड़ के हिस्सों से तैयार किया जाता है. इसे खेत में 6 से 8 फीट की दूरी पर लगाया जाता है. पौधा लगाने के करीब 3 से 4 साल बाद इसमें फूल आना शुरू होते हैं. एक बार पौधा तैयार हो जाए तो यह कई सालों तक लगातार फूल देता है.

सुबह के समय होती तुड़ाई 

केवड़ा के फूलों की तुड़ाई सुबह के समय की जाती है क्योंकि इसी समय इनमें सबसे ज्यादा खुशबू होती है. फूलों से भाप आसवन विधि के जरिए केवड़ा जल और केवड़ा तेल निकाला जाता है. तेल की मात्रा बेहद कम निकलती है, यही वजह है कि इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है. करीब 1,000 से 1,200 फूलों से सिर्फ कुछ मिलीलीटर तेल ही निकल पाता है.

केवड़ा की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है. एक एकड़ में औसतन 400 से 500 पौधे लगाए जा सकते हैं. एक पौधे से साल में कई बार फूल मिलते हैं. केवड़ा वॉटर और ऑयल की बाजार में जबरदस्त मांग रहती है. एक अनुमान के मुताबिक, एक एकड़ से किसान सालाना 3 से 5 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं. अगर किसान खुद प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर तेल निकालते हैं तो मुनाफा और भी बढ़ जाता है.

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