बासमती चावल के लिए जीआई टैग की लड़ाई में पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश हो गया है. पाकिस्तान झूठी खबर फैला रहा है कि उसे न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बासमती चावल के लिए मान्यता मिल गई है. भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि यह पूरी तरह से झूठ और भ्रामक है. उन्होंने पड़ोसी देश पर अपनी आंतरिक समस्याओं के चलते झूठ बोलने का आरोप लगाया. न्यूजीलैंड में इसी महीने न्यायालय में मामले की सुनवाई होनी है और ऑस्ट्रेलिया में अप्रैल 2025 में मामले पर सुनवाई लंबित है. इसके अलावा भारत का दावा इसलिए भी मजबूत है कि न्यूजीलैंड पहले ही भारत को बासमती चावल के लिए लोगो मार्क रजिस्ट्रेशन दे चुका है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार एक सरकारी सूत्र ने बताया कि 12 फरवरी को पाकिस्तान के मीडिया चैनलों ने बासमती चावल के लिए भारत के स्वामित्व के दावों, आवेदनों को न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की ओर से खारिज किए जाने के बारे में झूठे और गलत तथ्य प्रकाशित और प्रसारित किए. पाकिस्तान ने बासमती चावल के स्वामित्व के दावों को भारत के खिलाफ जीतने का फर्जी दावा किया है.
एक उद्योग सूत्र ने कहा कि उन्हें पता है कि वे न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में भारत के आवेदन पर पिछले फैसले के बाद भौगोलिक संकेत (जीआई) उत्पाद के रूप में बासमती चावल को मान्यता नहीं दिला सकते. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आईपी कार्यालयों की ओर से उसके विपरीत आदेश सुनाए जाने के कुछ संकेत मिल गए हैं और वह घरेलू दर्शकों को खुश करने के लिए झूठ का सहारा ले रहा है.
बासमती चावल जीआई टैग पाने की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट करते हुए अधिकारी ने कहा कि भारत की याचिका अप्रैल 2025 में ऑस्ट्रेलिया के संघीय न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए निर्धारित है और इस महीने न्यूजीलैंड के उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई होने की उम्मीद है. बता दें कि पहले आईपी कार्यालयों की ओर से जीआई टैग देने से इनकार करने के बाद भारत ने अपीलीय प्राधिकरणों का रुख किया.
पाकिस्तान में मीडिया रिपोर्टों ने दावा किया कि यूरोपीय आयोग (EC) से भी पाकिस्तान का पक्ष लेने की उम्मीद है. जबकि, असल में दोनों देशों की ओर से बासमती टैग हासिल करने के लिए आवेदन लंबित हैं. बासमती जीआई टैग पर एक किताब के लेखक एस चंद्रशेखरन ने कहा कि यूरोपीय संघ में पाकिस्तान मुकदमा हारने के डर से अधिकारियों को अपना पूरा आवेदन दिखाने से रोकता है. इसका कारण यह है कि पाकिस्तानी बासमती की भारत जैसी ऐतिहासिक प्रतिष्ठा नहीं है. मुकदमा हारने के डर से पाकिस्तान अपने घरेलू कंपोनेंट को प्रबंधित करने के लिए झूठी खबरें और कहानी फैलाने की कोशिश कर रहा है.
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (Apeda) 'बासमती' नाम और लोगो प्रमाणन ट्रेडमार्क आवेदनों की सुरक्षा में सक्रिय रूप से लगा हुआ है. अधिकारियों ने कहा कि वास्तव में इसके पास बासमती के लिए न्यूजीलैंड में लोगो मार्क पंजीकरण है, जबकि पाकिस्तान के पास ऐसा कोई पंजीकरण नहीं है. आधिकारिक सूत्र ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि इन दोनों देशों में से किसी में भी पाकिस्तान को आज तक कोई पंजीकरण नहीं दिया गया है.
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