Independence Day 2023: कितना बदल गया किसान! पढ़ें आजादी के बाद खेती की दुनिया में हुए बदलावों की पूरी लिस्ट
वर्ष 1960 में पंतनगर में गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई. यह देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय है. इस यूनिवर्सिटी का जो सिलेबस तैयार किया गया वो अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉयस के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर तैयार किया गया था. इसके बाद से भारतीय कृषि तकनीक और पद्धति में बदलाव होना शुरू हो गया. यह बदलाव अच्छे भी हुए और इसके दुष्प्रभाव भी हुए.
देश आजादी के 76 साल पूरा होने का जश्न मना रहा है. हर दिल देश प्रेम से ओतप्रोत है. इस खास मौके पर हमें यह भी जानना चाहिए कि हमारे देश की ताकत क्या है. आज आजादी के 76 सालों बाद हम यह कह सकते हैं कि भारत ने कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की हासिल की है. कई बड़े बदलाव हुए हैं जो सकारात्मक रहे और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. कृषि भी एक ऐसा क्षेत्र हैं जिसमें बड़े बदलाव हुए हैं. कृषि उपज से लेकर तकनीक तक में बड़े बदलाव हुए हैं. अब तो देश में कृषि ने इतनी तरक्की कर ली है कि बिना मिट्टी के भी किसान पानी और हवा में सब्जी उत्पादन कर रहे हैं और उससे अच्छी आमदनी हासिल कर रहे हैं. कृषि के अलावा पशुपालन औऱ मत्स्य पालन के क्षेत्र में भी तकनीकी तौर पर बड़े बदलाव हुए हैं.
आजादी से पहले पूरे विश्व में भारतीय कृषि की ताकत का अंदाजा ग्रोनिनजेन यूनिवर्सिटी के नीदरलैंड के प्रोफेसर एंगस मेडिसन की लिखी पुस्तक हिस्ट्री और वर्ल्ड इक़ोनॉमी में दिए गए आंकड़ों से लगाया जा सकता है. किताब में विश्व में 2000 सालों का आर्थिक इतिहास लिखा हुआ है. इसमें 1000 AD से लेकर 2000 AD तक के विश्व के कई देशों के जीडीपी को दिखाया गया है. इसे देखने पर पता चलता है कि 1700 सालों तक पूरे विश्व की जीडीपी में भारत का हिस्सा 25 प्रतिशत था. इसका मतलब है कि भारत ने आजादी से पहले 1700 सालों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपना दबदबा बनाए हुए था. कृषि मामलों के जानकार बताते हैं कि इस वक्त भारत में उद्योग नहीं था पर फिर भी अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का दबदबा था तो इसकी ताकत सिर्फ और सिर्फ कृषि थी.
यहां से हुई बदलाव की शुरुआत
यह बात सभी जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ था तब देश में गरीबी और बेरोजगारी चरम पर थी. खाद्यान्न संकट था. संकट से जूझ रहे देश को अधिक उत्पादन करने की चुनौती थी इस बीच वर्ष 1960 में पंतनगर में गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गई. यह देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय और आज भी सबसे बेहतर मानी जाती है. इस यूनिवर्सिटी का जो सिलेबस तैयार किया गया वो अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉयस के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर तैयार किया गया था. इसके बाद से भारतीय कृषि तकनीक और पद्धति में बदलाव होना शुरू हो गया. यह बदलाव अच्छे भी हुए और इसके दुष्प्रभाव भी हुए.
देश भर में आईसीएआर की स्थापना हुई, जो कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान करने का कार्य करती है, पर इनका सिलेबस अमेरिका से आयातित था इसलिए यूरिया, डीएपी और केमिकल कीटनाशकों को लेकर अधिक प्रयोग हुए हैं इसका प्रचार, प्रसार किया गया.
देश में गोबर खाद की जगह यूरिया डीएपी और केमिकल खाद के इस्तेमाल का प्रचलन बढ़ा. इसके साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता घटती चली गई. आज जमीन की उपजाऊ क्षमता लगभग खत्म हो गई है.
हरित क्रांति के नाम पर पंजाब में केमिकल का इतना प्रयोग बढ़ा कि आज वहां पर कैंसर स्पेशल ट्रेन चलाई जाती है.
गोबर खाद का इस्तेमाल कम हो गया. पशुधन का प्रयोग सिर्फ दूध के लिए होने लगा. कृषि का मशीनीकरण हुआ और हल जोतने के लिए ट्रैक्टर का इस्तेमाल होना शुरू हुआ.
अधिक उत्पादन की चाह में हाइब्रिड बीज मंगाए गए और फिर उसके साथ बीमारियां भी भारतीय खेतों तक आ गईं. देसी पारंपरिक बीज आज खत्म होने के कगार पर हैं.
देश ने आजादी के बाद खाद्य सुरक्षा तो हासिल की पर पोषण सुरक्षा में हम पीछे हो गए. आज फल, सब्जियों और फसलों में पोषक तत्वों की मात्रा कम हो गई है.
कृषि के क्षेत्र में नई तकनीक का विकास हुआ और किसान अब बिना मिट्टी के भी पानी और हवा में खेती कर सकते हैं.
अब प्रत्येक मौसम में सभी प्रकार की फल और सब्जियां लोगों को मिल जाते हैं इस तरह से नई वेरायटी विकसित की गई है.
चावल, फल और सब्जियों की नई और क्षेत्र विशेष नई वेरायटी विकसित की गई. आजादी के बाद देश में धान का उत्पादन 34.5 मिलियन टन था, जो 2021 में बढ़कर 11.96 करोड टन हो गया.
पॉली हाउस, शेड-नेट हाउस का अविष्कार हुआ, साथ ही पानी की बचत करने के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक और स्प्रिकंलर इरिगेशन तकनीक लाई गई.
कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई बड़ी नहर परियोजनाएं चलाई गईं, नए डैम बने, जिससे किसानों को सिंचाई में आसानी हो.
पहले महिला किसानों की भूमिका सिर्फ रोपाई तक ही सीमित रहती थी, पर अब महिलाएं भी खेतों में ट्रैक्टर लेकर उतर रही हैं.
किसानों को बेहतर बाजार देने के लिए ई नाम जैसी ऑनलाइन मंडी विकसित की गई.
किसानों को बेहतर सुविधाएं और सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ दिलाने के लिए देश भर में एफपीओ बनाए जा रहे हैं. यह कृषि और किसानों के विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है.
कृषि जिसके बारे में पहले माना जाता था कि जिसके पास कोई रोजगार नहीं है वो खेताबारी करते हैं. वही कृषि के क्षेत्र में स्टार्टअप करना आज के युवाओं का सपना है.
भारत सरकार ने हाल के वर्षों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पहल शुरु किया है जो एक स्वागत योग्य कदम है. इससे कृषि में फिर से बड़े बदलाव की उम्मीद है.
पशुपालन के क्षेत्र में बात करें तो सफलता पूर्वक कृत्रिम गर्भाधान करना देश में बड़ उपलब्धि इसके बाद से देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ा.
मछली पालन के क्षेत्र में भी मछली की आर्टिफिशियल ब्रीडिंग कराना एक बड़ी सफलता मानी जा सकती है. इसके अलावा अब तक इस क्षेत्र में आरएएस और बॉयोफ्लॉक जैसी तकनीक से किसान मछली पालन कर रहे हैं जो पूरी तरह स्वचालित है.