ब्रेड सभी को सबसे सुविधाजनक लगता है, क्योंकि यह सुबह बनाने के लिए सबसे आसान ब्रेकफास्ट है. यह ज्यादातर घरों में एक मुख्य भोजन है, क्योंकि जब आपके पास किचन में कुछ नहीं होता है, तो आपको ब्रेड का खयाल आता है. वहीं अगर आपको बताया जाए कि आप दिन की शुरुआत ही खाने की ऐसी चीज से कर रहे हैं जो स्वास्थय के लिए हानिकारक है, तो आपके होश उड़ जाएंगे. दरअसल, सोशल मीडिया पर फ़ूडफार्मा के नाम से जाने जाने वाले रेवंत हिमतसिंगका ने कहा है कि भारत में ब्रेड एक “बड़ा मज़ाक” है. मालूम हो कि रेवंत हिमतसिंगका ने पहले बोर्नविटा में उच्च चीनी सामग्री होने का आरोप लगाकर सबका ध्यान आकर्षित किया था, जिसके कारण कैडबरी ने उनके खिलाफ कानूनी नोटिस भेजा था.
वहीं, अब रेवंत हिमतसिंगका ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सफेद ब्रेड की तुलना में ब्राउन ब्रेड, होलव्हीट ब्रेड और मल्टीग्रेन ब्रेड कितने हेल्दी हैं?
रेवंत हिमतसिंगका ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, भारत में ब्रेड एक बड़ा मज़ाक है! भारत में दो तरह के ब्रेड मिलते हैं. एक जो खुले तौर पर अनहेल्दी है (सफेद ब्रेड), और दूसरा प्रकार (ब्राउन, मल्टीग्रेन, होलव्हीट यानी साबुत गेहूं) जो हेल्दी होने का दिखावा करते हैं जबकि वे हैं नहीं!
Bread in India is a big joke! There are two types of bread in India. One which is openly unhealthy (white bread), and the second type (brown, multigrain, wholewheat) which pretend to be healthy when they are not!
— Revant Himatsingka “Food Pharmer” (@thefoodpharmer) July 22, 2023
Till a few decades ago, bread wasn't as common in India. But now… pic.twitter.com/8yOQsG7jKn
उन्होंने आगे लिखा, कुछ दशक पहले तक भारत में ब्रेड इतना आम नहीं था. लेकिन अब इसका उपयोग आमतौर पर भारतीयों द्वारा नाश्ते के सैंडविच, स्कूल टिफिन और स्नैक्स के लिए किया जाता है. यदि आप एक दिन में ब्रेड के 2 स्लाइस खाते हैं, तो आप एक वर्ष में 700 से अधिक स्लाइस खाते हैं. सुनिश्चित करें कि आप सही ब्रेड चुनें!"
90 सेकंड के वीडियो में, यह समझाते हुए कि सफेद ब्रेड मैदा या रिफाइंड आटे से बनी होती है जिसमें बहुत कम पोषण मूल्य होता है, उन्होंने कहा, "मैदा गेहूं को पॉलिश करके बनाया जाता है. जिसमें पॉलिश के दौरान फाइबर की परतों को हटा दिया जाता है."
इसे भी पढ़ें- Millets Recipe: ये खिचड़ी है खास, मिलेगा ज्वार का कुछ अलग ही स्वाद, पढ़ें रेसिपी
हिमतसिंगका ने अपने वीडियो में दिखाया कि कैसे ब्रेड का ब्राउन रंग, रंग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, न कि यह गेहूं के आटे से बना होता है. इसलिए "भारत में ब्राउन ब्रेड भी हेल्दी नहीं है." यह कारमेल रंग 150ए के कारण ब्राउन होता है. यह कारमेल रंग कोका कोला और बॉर्नविटा के रंग के समान है."
मल्टीग्रेन ब्रेड के बारे में उन्होंने कहा कि यह भी केवल गेहूं के आटे से नहीं बनी है. "FSSAI के अनुसार, सामग्री को वजन के क्रम में लिस्टेड किया जाता है. अधिकांश होलव्हीट यानी साबुत गेहूं की ब्रेड में पहली सामग्री के रूप में मैदा होता है और साबुत गेहूं का उपयोग बहुत कम होता है." फिर उन्होंने बताया कि साबुत गेहूं की ब्रेड की एक विशेष किस्म में केवल 20 प्रतिशत साबुत गेहूं होता है. रेवंत हिमतसिंगका ने कहा, "वे बस थोड़ा सा साबुत गेहूं मिलाते हैं ताकि वे खुद को साबुत गेहूं की ब्रेड कह सकें."
उन्होंने आगे कहा, "मल्टीग्रेन ब्रेड का मतलब यह भी नहीं है कि यह हेल्दी है. इसका मतलब सिर्फ यह है कि इसमें एक से अधिक अनाज होते हैं. भारत में अधिकांश मल्टीग्रेन ब्रेड भी मुख्य रूप से मैदा से बने होते हैं. उन्होंने ब्रेड के एक विशेष ब्रांड का जिक्र करते हुए कहा, जिसमें गेहूं के आटे की तुलना में अधिक मैदा होता है, क्योंकि सामग्री लिस्ट में सबसे पहले प्रोसेस्ड आटे का जिक्र किया गया था.
इसे भी पढ़ें- Wheat Variety: गेहूं की इस उन्नत किस्म की करें बुवाई, पैदावार है 79 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, जानें अन्य विशेषताएं
लोगों को ब्रेड के बजाय गेहूं के आटे की रोटियां चुनने की सलाह देते हुए फूड फार्मर ने कहा कि अगर लोग अभी भी प्रोसेस्ड ब्रेड खाना जारी रखना चाहते हैं, तो उन्हें पैकेट पर लिस्टेड सामग्री की जांच करनी चाहिए और उन किस्मों से बचना चाहिए जिनमें मैदा और पाम ऑयल होता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today