चुनावी सीजन को देखते हुए सरकार ने चीनी मिलों के लिए चीनी का कोटा बढ़ा दिया है. ये कोटा इसलिए बढ़ाया गया है ताकि खुले बाजार में इसकी आवक सामान्य रहे. चीनी की आवक सामान्य बने रहने से सप्लाई दुरुस्त रहेगी जिससे दामों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. ये महीना त्योहार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और चुनाव भी शुरू होने वाला है. इसे देखते हुए सरकार ने चीनी मिलों के लिए 25 लाख टन चीनी का कोटा कर दिया है. यह कोटा फरवरी और मार्च के कोटे से ज्यादा है.
सरकार ने अप्रैल ने मिलों के लिए चीनी का कोटा 23.5 लाख टन रखा था जबकि मार्च में यह 22 लाख टन था. अब उसे अप्रैल के लिए बढ़ाकर 25 लाख टन कर दिया गया है. इस तरह कोटे में डेढ़ लाख टन की वृद्धि की गई है. खाद्य मंत्रालय की नोटिफिकेशन के मुताबिक सबसे अधिक कोटा महाराष्ट्र की मिलों को दिया गया है जबकि दूसरे नंबर पर यूपी है. इसके बाद कर्नाटक का स्थान आता है. कोटा बढ़ाने के पीछे असली वजह ये है कि गर्मियों में चीनी की मांग बढ़ जाती है और त्योहार भी अधिक आते हैं. इन दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अप्रैल महीने में चीनी का कोटा बढ़ाया है.
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इस महीने एक खास बात ये भी है कि चुनाव का सीजन शुरू होने वाला है. चुनावों में चीनी की अतिरिक्त मांग बनेगी जिससे महंगाई बढ़ने के आसार हैं. इस पर रोक लगाने और दामों पर अंकुश बनाए रखने के लिए सरकार ने चीनी का कोटा बढ़ाने का निर्णय लिया है. सूत्रों से ये भी खबर आ रही है कि सरकार अप्रैल महीने के लिए चीनी का कोटा और भी बढ़ा सकती है. इससे पहले खाद्य मंत्रालय ने उन चीनी मिलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी जो सरकारी नियमों की अनदेखी कर रहे थे. यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि मिलों के लिए चीनी का जितना कोटा फिक्स किया गया था, उससे ज्यादा चीनी मिलों ने खुले बाजार में बेच दी.
खाद्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 36 मिलें ऐसी हैं जिनका कोटा सरकार ने कम कर दिया. महाराष्ट्र में 22 और कर्नाटक में 14 मिलों के कोटे को घटाया गया क्योंकि इन मिलों ने स्टॉक नियमों की अनदेखी की. यूपी की एक बड़ी चीनी मिल का भी कोटा कम किया गया है. मिल का कहना है कि सरकार से बार-बार दर्खास्त करने के बाद भी कोटा नहीं बढ़ाया गया है और इससे उसकी कमाई पर असर पड़ा है. चीनी का कोटा इसलिए भी बढ़ाया जाता है क्योंकि इसकी मांग कई उद्योगों में देखी जाती है. कोल्ड ड्रिंक्स से लेकर आइसक्रीम कंपनियां अधिक चीनी की डिमांड करती हैं. गर्मी में ऐसे प्रोडक्ट की मांग बढ़ जाती है, इसलिए इन कंपनियों में खपत भी अधिक होती है. इसे देखते हुए सरकार चीनी का कोटा बढ़ाने पर फैसला लेती है.
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