कोलैटरल फ्री लोन यानी बिना जमानत या बिना कुछ गिरवी रखे मिलने वाली बैंक से कर्ज की रकम होती है. यह प्रॉयरिटी सेक्टर लेडिंग (PSL) के जरिए कृषि समेत अन्य कई सेक्टर में लोन के रूप में दी जाती है और इसकी लिमिट 1.6 लाख रुपये तय है. आरबीआई के मूल्यांकन में यह सामने आया है कि कुछ बैंक तय रकम कृषि लोन में देने के बदले जमानत के रूप में किसानों से सोना गिरवी रखवा लेते हैं. जबकि, वह इस लोन को आरबीआई के सामने प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) पोर्टफोलियो में दर्शाते हैं. यह तरीका पूरी तरह से गलत और नियमों को लांघता है, क्योंकि PSL के तहत 1.6 लाख रुपये तक के लोन के लिए कोई जमानत जरूरी नहीं है. ऐसे में कुछ बैंक आरबीआई के निशाने पर आ गए हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) हमेशा चाहता है कि उसके जरिए रेगुलेटेड संस्थान नियमों के दायरे में रहें. कुछ पुरानी पीढ़ी के प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों को हाल ही में अपने खातों के एनुअल फाइनेंशियल निगरानी के दौरान नियम सीमा पार कर गए हैं. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि RBI की निरीक्षण टीम ने वित्त वर्ष 2024 की अवधि के लिए PSL खातों की गहराई से जांच की, जिसमें कुछ बैंकों के मूल्यांकन के दौरान निरीक्षकों को 1.6 लाख रुपये तक के कृषि लोन के अनियमित वर्गीकरण (Irregular classification) के मामले मिले हैं.
आरबीआई के निरीक्षकों की परेशानी का कारण यह है कि 1.6 लाख रुपये तक लिमिट के कृषि लोन को बिना किसी जमानत के देना अनिवार्य है, लेकिन कुछ बैंकों ने छोटे और सीमांत किसानों से लोन राशि की जमानत के तौर पर सोना रख लिया है. निरीक्षकों का कहना है कि अगर लोन अमाउंट की सुरक्षा के लिए जमानत के रूप में सोना लिया जाता है तो 1.6 लाख रुपये तक के कृषि लोन को प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग के तौर पर कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता है. बैंकर्स ने चिंता जताई है कि इस अनियमितता पर कुछ बैंक मुश्किल में पड़ सकते हैं. कहा गया है कि अगर ऐसे लोन प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग का टैग खो देते हैं तो बैंकों को इस मोर्चे पर कमी को पूरा करने के लिए पीएसएल सर्टिफिकेट खरीदने या राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के ग्रामीण इंफ्रा फंड में निवेश करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा.
बैंकों के लिए प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) कैटेगरी में लोन अमाउंट जारी करना जरूरी है. इसका उद्देश्य कृषि सेक्टर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), निर्यात, शिक्षा, आवास, कमजोर वर्गों जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बैंक के क्रेडिट फ्लो को बढ़ाना है.
आरबीआई ने फरवरी 2019 में कृषि इनपुट लागत में बढ़ोत्तरी को देखते हुए कोलैटरल फ्री कृषि लोन अमाउंट की लिमिट 1 लाख से बढ़ाकर 1.6 लाख कर दी थी. कोलैटरल फ्री लोन कैसे काम करता है इसे समझते हैं- उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में रबी सीजन की प्याज फसल के लिए नाबार्ड के तहत राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की ओर से वित्त वर्ष 2023 के लिए निर्धारित रकम का मानक न्यूनतम 62,833 रुपये प्रति हेक्टेयर से लेकर 95,156 रुपये प्रति हेक्टेयर तक था. इस मानक के अनुसार 1.5 हेक्टेयर के मालिक एक छोटे किसान को न्यूनतम 94,249.5 रुपये से लेकर अधिकतम 1,42,734 रुपये तक का बिना कुछ भी गिरवी रखे यानी कोलैटरल फ्री लोन मिल सकता है.
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