हरी सब्जी को सेहत का खजाना माना जाता है. लोग खुद को सेहतमंद रखने के लिए अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को खाते हैं. इसलिए मार्केट में भी पूरे हमेशा हरी सब्जियों की डिमांड रहती है. साथ ही कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सब्जी की किस्म है आयुष और कैसे करते हैं इसकी खेती. आपको बता दें, पूरे साल बाजार में मिलने वाली सब्जी कद्दू की आयुष किस्म है. कद्दू की इस किस्म की किसानों में खूब डिमांड रहती है. किसान इसकी खेती कर बेहतर उपज और कमाई करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं आयुष की क्या है खासियत.
कद्दू की आयुष किस्म: कद्दू की बेहद खूबसूरत और नामचीन किस्मों में आयुष का नाम दर्ज है. ये कद्दू की एक हाइब्रिड किस्म है. कद्दू की यह किस्म संतरे रंग की होती है. इस कद्दू का सामान्य वजन 01 किलो तक होता है. रंग और हल्के वजन के चलते इसकी मांग बहुत अधिक होती है. पैदावार के लिए भी ये किस्म काफी फेमस है.
कद्दू की अंबली वैरायटी: जब उपज की बात हो तो कद्दू की अंबली वैरायटी का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है. इस वैरायटी को केरल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किया गया है. सामान्य तौर पर इस किस्म के फल चार से छह किलो तक का होता है. यही वजह है कि किसानों के लिए यह किस्म अच्छी कमाई देने वाली होती है. वहीं, ये किस्म बुवाई के 50 से 60 दिनों के भीतर ही पककर तैयार हो जाती है.
काशी हरित किस्म: यह कद्दू की एक अच्छी किस्म है. इसका रंग हरा और आकार चपटा और गोलाकार होता है. बुवाई के 50 से 60 दिनों की भीतर ही यह किस्म पककर तैयार हो जाती है. इसके फल के बारे में बात करें, तो यह 3.5 किलो से पांच किलो तक के बीच होता है. इसके एक ही पौधे से चार से पांच फल मिल जाते हैं. वहीं प्रति हेक्टेयर इसकी फसल में 400 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है.
पूसा विश्वास किस्म: कद्दू की यह किस्म उत्तर भारत के राज्यों में ज़्यादा उगाई जाती है. ये किस्म प्रति हेक्टेयर 400 क्विंटल तक उत्पादन देती है. इसके फल का रंग हरा होता है, जिस पर सफ़ेद रंग के हल्के धब्बे होते हैं. पूसा विश्वास की फसल 120 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है.
काशी उज्ज्वल किस्म: कद्दू की यह किस्म उत्तर और दक्षिण भारत के किसानों के बीच काफी प्रसिद्ध है. इसकी उत्पादक क्षमता काफी अच्छी है, क्योंकि इसके हर एक पेड़ से चार से पांच फल प्राप्त हो जाते हैं, लेकिन इसे पकने में दूसरी किस्मों से थोड़ा ज़्यादा समय लगता है. यह लगभग 180 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
कद्दू की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. वहीं, अच्छी पैदावार लेने के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उचित मानी जाती है. कद्दू की खेती करने से पहले खेतों की जुताई करने के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल करना चाहिए. उसके बाद बीज की बुवाई करनी चाहिए.
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