बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन के बाद भड़की हिंसा और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के कारण अस्थिरता और अराजकता का माहौल बन गया है. शेख हसीना ने व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे के बाद, बांग्लादेश की सेना ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है. यह घटनाक्रम भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि बांग्लादेश भारत का मित्र देश है और शेख हसीना सरकार के साथ भारत के काफी अच्छे संबंध रहे हैं. इस अस्थिरता का असर भारत पर भी पड़ सकता है, क्योंकि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार 14 अरब अमेरिकी डॉलर से ऊपर है. इसमें बांग्लादेश से आयात के मुकाबले निर्यात का हिस्सा अधिक है. इस निर्यात में कृषि उत्पादों का हिस्सा बहुत बड़ा है.
इस तख्तापलट ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर व्यापारिक गतिविधियों को प्रभावित किया है. सोमवार दोपहर से भारत-बांग्लादेश व्यापार रोक दिया गया है. कारोबारियों के अनुसार, बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण अशांति फैल गई है और शेख हसीना के इस्तीफे के चलते यह कदम उठाया गया है. निर्यातकों ने बांग्लादेश में संकट पर चिंता जताई है और कहा है कि पड़ोसी देश के घटनाक्रमों का द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ेगा. हालांकि, निर्यातकों को उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो सकती है. निर्यातकों का कहना हैकि बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पहले ही निर्यात में रुकावटें आई हैं. भारत की सीमा पर बांग्लादेश को निर्यात के लिए पहुंचे जल्दी खराब होने वाले सामानों को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. एपीडा के अनुसार, साल 23-24 में बांग्लादेश को 1556 करोड़ रुपये का 724,814.05 लाख टन कृषि, फल सब्जियों और डेयरी उत्पाद का निर्यात किया गया था.
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बांग्लादेश को निर्यात करने वाले कलकत्ता के व्यापारी सजीव राय का कहना है कि पिछले दो-तीन सप्ताह से निर्यात प्रभावित हुआ है क्योंकि वहां के व्यापारी इस अराजकता की स्थिति में कृषि सामानों का ऑर्डर नहीं दे रहे हैं, जिससे निर्यात पर असर पड़ा है. सीमा पर निर्यात ट्रकों की लंबी कतारें और व्यापार में रुकावटें आई हैं. बांग्लादेश भारत का 25वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. भारत बांग्लादेश को आवश्यक खाद्य वस्तुओं के साथ-साथ कृषि, बिजली और औद्योगिक उपकरण और पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति करता है. शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद अब यह निर्यात बाजार अनिश्चितता के भंवर में घिर सकता है.
साल 2023 में भारत ने बांग्लादेश को 6,052 वस्तुओं का निर्यात किया, जिसमें मुख्य रूप से साल 23-24 में प्याज, दाल, मक्का, ताजी सब्जियां, ताजे फल, मूंगफली, डेयरी उत्पाद, चीनी, गुड़, नॉन बासमती चावल, बासमती चावल है. भारत का निर्यात बांग्लादेश को 12.20 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता से निर्यात को लेकर अनिश्चितता का माहौल बनेगा, जिससे निवेशकों के समक्ष बड़ा संकट खड़ा हो सकता है.
बांग्लादेश को निर्यात में मुख्य रूप से सूती धागा, पेट्रोलियम, अनाज, फल और सब्जियां शामिल हैं. कृषि उत्पादों में चावल, मक्का, चीनी, मोलासिस, रेपसीड, आलू और प्याज शामिल हैं, जिनका भारत से बांग्लादेश को निर्यात होता है. कृषि उत्पादों का बड़ा हिस्सा लगभग 30 से 32 फीसदी होता है. वहीं, भारत ने बांग्लादेश से 1,154 वस्तुओं का आयात किया, जिसमें प्रमुख रूप से आरएमजी कपास, सूती कपड़े, मेड-अप वस्त्र, मसाले और जूट शामिल हैं. बांग्लादेश से भारत को होने वाला आयात, निर्यात के मुकाबले काफी छोटा है. भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक संबंध दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. बांग्लादेश ने पिछले कुछ वर्षों में पर्याप्त आर्थिक वृद्धि हासिल की है. देश की रणनीतिक स्थिति और प्रतिस्पर्धी श्रम लागत ने इसे विनिर्माण और व्यापार के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है.
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