मौजूदा समय में लोग खुद को सेहतमंद रखने के लिए कई तरह के फल खाते हैं, जिसमें ज्यादातर लोग सेब, अनार और कई पौष्टिक फलों को खाना पसंद करते हैं. ये सभी फल शरीर के लिए काफी लाभदायक माने जाते हैं. वहीं, मार्केट में पूरे साल इन फलों की डिमांड रहती है. साथ ही कई फलों की ऐसी भी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस फल की वैरायटी कावेरी वामन है. दरअसल, ये केले की एक खास वैरायटी है. फलों में केले का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. इस फल को लोग खूब खाना पसंद करते हैं. ऐसे में आइए ये भी जानते हैं कि इसकी 5 बड़ी खासियतें क्या हैं?
केले की कावेरी वामन किस्म की कई विशेषताएं हैं. ये केले की एक बौनी किस्म है. इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 150-160 सेमी होती है. इसके गुच्छे (घौद) का आकार मध्यम होता है, जिसमें 8-10 गुच्छे होते हैं और गुच्छे का वजन 18-25 किलोग्राम तक होता है. ये किस्म हवा वाले क्षेत्रों में उच्च घनत्व वाले रोपण और खेती के लिए उपयुक्त है. साथ ही इस किस्म को छत पर बागवानी के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा इस किस्म को किसी सहारे या स्टेकिंग की जरूरत नहीं होती है.
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1 कावेरी वामन केले की एक बौनी किस्म है.
2 ये किस्म हवा वाले क्षेत्रों के लिए बेहतर है.
3 इस किस्म को छत पर बागवानी के लिए उपयुक्त माना जाता है.
4 इस किस्म को किसी सहारे या स्टेकिंग की आवश्यकता नहीं होती है.
5. इसके पौधे में 8-10 गुच्छे होते हैं और गुच्छे का वजन 18-25 किलोग्राम तक होता है.
केला रोपाई से पहले ढैंचा, लोबिया जैसी हरी खाद की फसल उगाई जानी चाहिए. फिर उसे जमीन में गाड़ देना चाहिए. ये मिट्टी के लिए खाद का काम करती है. अब केले का खेत तैयार करने के लिए जमीन को 2 से 4 बार जुताई करके समतल कर लेना चाहिए. मिट्टी के ढेलों को तोड़ने के लिए रोटावेटर या हैरो का उपयोग करें और मिट्टी को उचित ढलाव दें. इसके बाद उचित दूरी पर पौधों को लगा दैं.
बारिश का मौसम शुरू होने से पहले यानी जून के महीने में खोदे गए गड्ढों में 8.15 किलोग्राम कंपोस्ट खाद, 150-200 ग्राम नीम की खली, 250-300 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 200 ग्राम नाइट्रोजन, 200 ग्राम पोटाश डाल कर मिट्टी भर दें. इसके बाद समय पर पहले से खोदे गए गड्ढों में केले की पौध लगा देनी चाहिए. इसके लिए हमेशा सेहतमंद पौधों का चुनाव करना चाहिए.
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