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पौधों पर सूखे और लिक्विड उर्वरक के उपयोग में क्या अंतर है? दोनों में कौन सा है बेस्ट

पौधों पर सूखे और लिक्विड उर्वरक के उपयोग में क्या अंतर है? दोनों में कौन सा है बेस्ट

कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ सूखे और तरल उर्वरक की क्षमता और पौधों पर असर को लेकर अलग-अलग दावे करते हैं. जैसे आजकल नैनो यूरिया को लेकर हो रहा है. कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके इस्तेमाल से किसान की बचत होती है और फसलों का उत्पादन बढ़ता है लेकिन कुछ वैज्ञानिक इसके फसलों पर प्रभाव को लेकर गंभीर सवाल उठा रहे हैं.

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सूखे और लिक्विड उर्वरक में कौन सा है बेस्ट सूखे और लिक्विड उर्वरक में कौन सा है बेस्ट

फसलों या पौधों में पत्ती, तने की वृद्धि प्लांट की बीमारियों से रक्षा और उसे हरा भरा बनाने में प्रमुख उर्वरकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है. पोषक तत्व के प्रयोग से फूल वाले पौधे में नए फूल निकलते हैं और नई जड़ें विकसित होती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि उर्वरक और पोषक तत्व सूखे और लिक्विड दोनों तरह के आते हैं. दोनों में क्या अंतर है और उनमें कौन सा बेस्ट है. सूखा उर्वरक एक प्रकार की ऐसी खाद है जो ठोस या पाउडर के रूप में आता है, जबकि तरल उर्वरक एक प्रकार का ऐसा उर्वरक है जो लिक्विड के  रूप में आता है. दोनों के बीच मुख्य अंतर उन्हें पौधों पर लगाने के तरीके में है. 

कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ दोनों की क्षमता और पौधों पर असर को लेकर अलग-अलग दावे करते हैं. जैसे आजकल नैनो यूरिया को लेकर हो रहा है. कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि इसके इस्तेमाल से किसान की बचत होती है और फसलों का उत्पादन बढ़ता है लेकिन कुछ वैज्ञानिक इसके फसलों पर प्रभाव को लेकर गंभीर सवाल उठा रहे हैं. देश और विदेश दोनों में नैनो यूरिया को लेकर सवाल उठे हैं जबकि इसे बनाने वाली कंपनी इफको का दावा है कि यह पारंपरिक यूरिया के मुकाबले ज्यादा लाभदायक है.

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तरल और सूखे उर्वरक में अंतर

सूखा उर्वरक आमतौर पर पौधों के आसपास की मिट्टी में मिलाया जाता है या उसे बीजों की तरह से खेत में छिटक दिया जाता है. जबकि तरल उर्वरक सीधे पत्तियों या मिट्टी पर लगाया जाता है. सूखा उर्वरक मिट्टी में लगाया जाता है और पौधे को इसके पोषक तत्व जारी करने के लिए इसमें पानी डालना पड़ता है. तरल उर्वरक को पानी के साथ मिलाया जाता है और सीधे पौधे की पत्तियों या जड़ों पर लगाया जाता है, जिससे पौधा तुरंत पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेता है. सूखा उर्वरक आम तौर पर धीमी गति से काम करता है और दीर्घकालिक पोषण प्रदान करता है, जबकि तरल उर्वरक अधिक तेजी से अवशोषित होता है लेकिन इसे अधिक बार लगाना पड़ता है. 

नैनो यूरिया और डीएपी

पौधों में किसान सबसे ज्यादा नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का इस्तेमाल करते हैं. नाइट्रोजन यूरिया से मिलता है और डीएपी यानी डाई अमोनियम फास्फेट है फास्फेटिक उर्वरक का काम करता है. दोनों पहले सूखे फार्म में आते थे लेकिन अब नैनो यूरिया और डीएपी के रूप में यह लिक्विड में भी आ गए हैं. नैनो यूरिया और डीएपी को पारंपरिक यूरिया के स्थान पर विकसित किया गया है. दावा है कि यह पारंपरिक यूरिया की आवश्यकता को न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है. इसकी 500 मिली की एक बोतल में सामान्य यूरिया की एक बोरी के बराबर नाइट्रोजन होता है.

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