तरबूज की खेती का बना रहे हैं प्लान, ये क‍िस्में बढ़ाएंगी क‍िसानों का मुनाफा

तरबूज की खेती का बना रहे हैं प्लान, ये क‍िस्में बढ़ाएंगी क‍िसानों का मुनाफा

तरबूज को जायद सीजन की फसल माना जाता है. क‍िसान फरवरी के महीने ही इसकी तैयार‍ियां शुरू कर देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क‍ि तरबूज की उन्नत क‍िस्में कौन सी हैं. साथ ही जानते हैं क‍ि तरबूज की खेती के ल‍िए क‍िसानों को क‍िस तरह की सावधानी बरतनी चाह‍िए.

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तरबूज की खेती का बना रहे हैं प्लान, ये क‍िस्में बढ़ाएंगी क‍िसानों का मुनाफातरबूज की खेती.

तरबूज महाराष्ट्र में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक हैं. महाराष्ट्र में तरबूज की खेती लगभग 660 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. राज्य में किसान सीजन की फसलों की खेती बड़े पैमाने पर करते है. तरबूज की खेती की खास बात ये हैं, इसे कम पानी, कम खाद और कम लागत में उगाया जा सकता है. वहीं बाजार में इसकी मांग होने से इसके भाव अच्छे मिलते हैं. किसान रबी और खरीफ के बीच के समय में भी अपने खेत में तरबूज की खेती करके करीब सवा 3 लाख रुपए तक कमाई कर सकते है. इस समय राज्य में किसान तरबूज की खेती कुछ दिनों में शुरू करेंगे. किसान सही योजना और उन्नत किस्म से खेती कर अच्छा कमाई कर सकते है. 

अकोला जिले के किसान आनंद पाटिल बताते है कि वो हर साल तरबूज की खेती से अच्छा खासा लाखों का मुनाफा कमाते है. तो जानिए कैसे तरबूज की उन्नत क‍िस्मों से आसान तरीके से खेती कर अच्छी आय की जा सकती है. 

तरबूज की खेती के लिए सही समय   

वैसे तो तरबूज की खेती दिसंबर से लेकर मार्च तक की जा सकती है. लेकिन, तरबूज की बुवाई का उचित समय मध्य फरवरी माना जाता है. वहीं तराई क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल के महीनों में इसकी खेती की जाती है.

तरबूज की खेती के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु और मिट्टी

इसकी खेती करने के लिए गर्म और औसत आद्रता वाले जगहों को सबसे उपयुक्त माना जाता है. तरबूज के लिए मिट्टी का स्तर 5.5 से 7 तक उपयुक्त होता है. तरबूज की फसल को गर्म और शुष्क मौसम और भरपूर धूप की आवश्यकता होती है. 24 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस का तापमान बेल की वृद्धि के लिए सही रहता है. इसकी खेती के लिए अधिक तापमान वाली जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है. अधिक तापमान से फलों की वृद्धि अधिक होती है.

तरबूज की खेती के लिए कौन सी होनी चाहिए उन्नत किस्में 

तरबूज की कई उन्नत किस्में होती हैंं, जो कम समय में फल तैयार हो जाती है और उत्पादन भी अच्छा मिलता हैं. इन किस्मों में प्रमुख किस्मेें शुगर बेबी, अर्का ज्योति, पूसा बेदाना प्रमुख हैं. 

खेती की तैयारी 

किसानों को इसके लिए खेत की पहली जुताई मिट्टी वाले हल से करनी चाहिए. फिर खेतों में पानी कम या ज्यादा नहीं होना चाहिए. मिट्टी में गोबर की खाद को अच्छी तरह मिला दें. अगर रेत जायद हो तो ऊपरी सतह को हटाकर नीचे की मिट्टी में खाद मिलना चाहिए.

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