आप किसान हैं तो मौजूदा रबी सीजन में यूरिया की जरूरत पड़ रही होगी. फसलों की बुवाई से लेकर अन्य तरह के कृषि काम में यूरिया की जरूरत होती है. यह एक तरह की खाद है जिसे पौधों को पोषण देने के लिए खेतों में छिड़का जाता है. यूरिया की बोरी 45 किलो की आती है जिसे सरकारी सेंटरों पर खरीदा जाता है. यह बोरी आपको 242 रुपये में मिलती है जिसकी कीमत सरकार निर्धारित करती है. आपको यह बोरी भले 242 रुपये में मिलती हो, लेकिन क्या असली दाम आपको पता है? यूरिया की एक बोरी का दाम 2200 रुपये होता है, लेकिन सरकार किसानों के बोझ को कम करने के लिए उसे 242 रुपये में बेचती है. तभी सरकार हर साल यूरिया सब्सिडी के लिए करोड़ों रुपये का बजट पास करती है.
सरकार किसानों को सस्ती दर पर यूरिया मुहैया कराती है ताकि खेती किसानी में किसानों को किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो. किसानों को सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती, बल्कि सीधे कंपनियों को दी जाती है. एक कंपनी से यूरिया की 45 किलो की बोरी 2450 रुपये में मिलती है, लेकिन सरकारी सब्सिडी के साथ यह करीब-करीब 242 रुपये मिलते हैं. इस तरह देखा जाए तो सरकार यूरिया पर काफी पैसा खर्च कर रही है.
ये भी पढ़ें: रबी की बुआई कर रहे किसानों से UP के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने की अपील, कही ये बड़ी बात
खाद से मिट्टी की संरचना यानी उर्वरक क्षमता में सुधार होता है साथ ही मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है. उर्वरक का प्रयोग करने से फसलों को शीघ्र लाभ मिलता है. खाद मिट्टी की कमी को पूरा कर पौधों को जरूरी पोषक तत्व देने का काम करते हैं. इस प्रकार खाद और उर्वरक से उत्पादन में वृद्धि होती है.
हाल ही में अमित शाह ने किसानों की जरूरतों को समझते हुए देश के किसानों के लिए नैनो तरल यूरिया को लॉन्च किया था. नैनो यूरिया एक लागत प्रभावी उत्पाद है और इसे कम मात्रा में खेत में डालने से फसलों को आवश्यक नाइट्रोजन मिल जाती है. खेती के लिए नैनो यूरिया का उपयोग करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान होता है. इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी और हवा और पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा.
500 मिलीलीटर नैनो लिक्विड डीएपी (डाइ-अमोनियम फॉस्फेट) की एक बोतल पारंपरिक दानेदार डीएपी के 50 किलोग्राम बैग के बराबर है, जो वर्तमान में 1,350 रुपये में बेची जा रही है. इससे पहले जून 2021 में, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) ने दुनिया का पहला नैनो यूरिया उर्वरक लॉन्च किया था और अब उसने इसे नैनो डीएपी में विकसित किया है. मिट्टी की गुणवत्ता और लोगों के स्वास्थ्य पर पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए, मंत्री ने कहा कि इफको नैनो डीएपी के उपयोग से फसल उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में वृद्धि होगी और मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा. उन्होंने कहा कि नैनो उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बहाल करने में काफी मदद मिलेगी और रासायनिक पोषक तत्वों के कारण करोड़ों भारतीयों के स्वास्थ्य पर खतरा भी कम होगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today