Nano Fertilizers के लंबे समय तक फील्‍ड ट्रायल करे सरकार: संसदीय समिति‍, रिपोर्ट में ये सिफारिशें की

Nano Fertilizers के लंबे समय तक फील्‍ड ट्रायल करे सरकार: संसदीय समिति‍, रिपोर्ट में ये सिफारिशें की

Parliamentary Panel Report On Fertilizers: संसदीय समिति ने सरकार को नैनो यूरिया और नैनो DAP के उत्पादन में तेजी लाने और देशभर में दीर्घकालिक फील्ड ट्रायल कराने की सलाह दी है. रिपोर्ट में बताया गया कि नैनो उर्वरकों की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके प्रभाव को वैज्ञानिक रूप से साबित करने के लिए व्यापक रिसर्च जरूरी है.

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Nano Fertilizers के लंबे समय तक फील्‍ड ट्रायल करे सरकार: संसदीय समिति‍, रिपोर्ट में ये सिफारिशें कीसंसदीय समित‍ि ने नैनौ खाद पर कही ये बातें (सांकेतिक तस्‍वीर)

देश को खाद के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को तेजी देने के लिए संसदीय स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को नैनो उर्वरकों पर निर्णायक कदम उठाने की सलाह दी है. रसायन और उर्वरक मंत्रालय से जुड़े विभागों की समीक्षा करते हुए समिति ने स्पष्ट कहा है कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे उत्पाद आने वाले समय में पारंपरिक उर्वरकों का प्रभावी विकल्प बन सकते हैं, लेकिन इसके लिए विस्तृत और दीर्घकालिक फील्ड रिसर्च को तत्काल शुरू करना जरूरी है.

आयात निर्भरता कम करने पर जोर

समिति ने सोमवार को संसद में ‘उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भरता और आयात पर निर्भरता कम करने’ विषय पर अपनी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट के अनुसार, विभाग ने समिति को जानकारी दी कि नैनो उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की पोषकता, फसल की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है. साथ ही यह भी बताया गया कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी की छोटी बोतलें किसानों को पारंपरिक खाद के मुकाबले काफी कम कीमत पर उपलब्ध हो रही हैं.

'अलग-अलग फसलों पर फील्‍ड ट्रायल कराए जाएं'

समिति ने सरकार से कहा है कि नैनो उर्वरकों के वास्तविक प्रभाव की वैज्ञानिक पुष्टि के लिए यह आवश्यक है कि देश भर की अलग-अलग फसलों और अलग-अलग कृषि-जलवायु क्षेत्रों में लम्बे समय तक फील्ड ट्रायल कराए जाएं. समिति का मानना है कि अभी तक हुए प्रारंभिक प्रयोग उत्साहजनक हैं, लेकिन किसान बड़े पैमाने पर इसे तभी अपनाएंगे जब प्रभाव के बारे में ठोस और सर्वमान्य शोध उपलब्ध होगा.

समिति ने यह भी अनुशंसा की है कि इन फील्ड ट्रायल्स को कृषि अनुसंधान संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की इकाइयों और देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ मिलकर संचालित किया जाए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे विभिन्न फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव, मिट्टी के स्वास्थ्य में आने वाले बदलाव और उपज की गुणवत्ता पर तटस्थ और विश्वसनीय डेटा प्राप्त किया जा सकेगा.

खाद उत्‍पादन की क्षमता बढ़ाने पर हो फोकस

उधर, समिति ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर भी जोर दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, नैनो उर्वरक बनाते समय कच्चे माल की बहुत कम मात्रा लगती है, इसलिए थोड़े निवेश से भी इसका उत्पादन कई गुना बढ़ाया जा सकता है. समिति ने विभाग को नीति और कार्यक्रम स्तर पर पूरा सहयोग देने की सिफारिश की है, ताकि आने वाले वर्षों में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पारंपरिक यूरिया, डीएपी और अन्य P&K उर्वरकों की जगह ले सकें.

समिति ने उम्मीद जताई है कि सरकार इस दिशा में समयबद्ध और गंभीर कदम उठाएगी. उसने कहा कि यदि नैनो उर्वरकों का उत्पादन और उपयोग व्यापक स्तर पर बढ़ता है तो इससे आयात पर निर्भरता कम होगी, विदेशी मुद्रा की बचत होगी और उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी.

ढाई साल में 9.32 करोड़ नैनो यूरिया की बोतल बिकीं

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले ढाई वर्षों में 9.32 करोड़ बोतल नैनो यूरिया किसानों को बेची जा चुकी हैं. यह मात्रा पारंपरिक यूरिया के लगभग 42 लाख टन के बराबर है. इसी तरह नैनो डीएपी को भी किसानों ने तेजी से स्वीकार किया है. वर्ष 2024 के अंत तक 3 करोड़ से अधिक बोतलों का उत्पादन किया गया, जिनमें से 2.16 करोड़ बोतलें बिक चुकी हैं. समिति ने बताया कि यह बिक्री करीब 10.82 लाख टन पारंपरिक डीएपी के बराबर है, जिसे अन्यथा आयात करना पड़ता.

समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि नैनो उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक तकनीक का व्यापक उपयोग किया जाए. इसमें विशेष रूप से ड्रोन तकनीक को युद्धस्तर पर लागू करने की बात कही गई है, ताकि किसानों को कम समय में, समान रूप से और अधिक कुशल तरीके से नैनो खाद का छिड़काव करने में सुविधा मिल सके.

समिति ने विभाग से आग्रह किया है कि नैनो उर्वरक अनुसंधान और नए नवाचारी फॉर्मुलेशन विकसित करने के लिए पर्याप्त फंड भी उपलब्ध कराए जाएं. समिति ने कहा कि नैनो उर्वरकों की सफलता तभी संभव है, जब वैज्ञानिक प्रमाण, उत्पादन क्षमता, किसानों में जागरूकता और तकनीकी सहायता- चारों मोर्चों पर समानांतर प्रगति हो. सरकार इस क्षेत्र को जितनी प्राथमिकता देगी, उतनी ही जल्दी भारत उर्वरकों के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकेगा. (पीटीआई)

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