पूरी दुनिया में राजस्थान की छवि एक रेतीले और सूखे राज्य की रही है. एक हद तक यह बात सटीक भी है. इतिहास में राजस्थान ने बहुत से दर्दनाक सूखे से सामना किया है,लेकिन इस साल हालात अलग हैं. अच्छे मानसून के चलते राजस्थान में बीते 60 सालों की तुलना में इस साल सरसों की रिकॉर्ड बुआई हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई आपदा नहीं आई तो राज्य की जीडीपी में कृषि का योगदान 2 से 3% तक बढ़ सकता है. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में अब तक 27.14 लाख हेक्टेयर भूमि में सरसों की बुआई हो चुकी है.
वहीं, इस रबी सीजन में अब तक 42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि बोई जा चुकी है. कृषि विभाग ने इस सीजन के लिए 1.16 करोड़ हेक्टेयर भूमि में बुआई का लक्ष्य रखा है. बता दें कि राजस्थान की कुल जीडीपी 11.96 लाख करोड़ रुपए की है. इसमें कृषि और पशुपालन का 28.95% हिस्सा है. अकेले कृषि सेक्टर का राज्य की जीडीपी में 18% की हिस्सेदारी है.
अगर फसल कटाई तक सब ठीक रहा तो रिकॉर्ड बुआई का सीधा फायदा आम आदमी को होगा. असल में बीते एक साल से खाद्य तेलों की कीमतों में काफी तेजी हुई है. इसीलिए इस बार सरसों की रिकॉर्ड बुआई से खाद्य तेलों खासकर सरसों के तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा सकती है. ऐसा इसीलिए भी क्योंकि भारत में मांग का 50% खाद्य तेल आयात किया जाता है. ज्यादा बुआई से यह आयात भी कम होने की उम्मीद है.
सरसों उत्पादन में राजस्थान देश में पहले स्थान पर है. देश में कुल सरसों उत्पादन का करीब 55% अकेला राजस्थान पैदा करता है. इसके बाद हरियाणा और पंजाब हैं. इसके अलावा केन्द्र सरकार ने रबी सीजन के लिए राज्य को 4.50 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 14.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग स्वीकृत की है.
इसमें से करीब 80% की आपूर्ति हो भी चुकी है. इसीलिए उम्मीद है कि किसानों को यूरिया और डीएपी की कमी महसूस नहीं होगी. वहीं, कृषि विभाग किसानों को सरसों, अलसी और मसूर के बीजों की निशुल्क किट उपलब्ध करा रहा है. अब तक सरसों के 6.90 लाख, 3 किलो के 95 हजार मिनी किट, अलसी 2 किलो के 4 हजार मिनी किट और मसूर 8 किलो के 22 हजार मिनी किट किसानों के मुफ्त उपलब्ध करा चुका है.
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