किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम-गैर-राजनीतिक) ने वादा किया है कि अगर सरकार धान की फसल की सुचारू उठान और गेहूं की बुवाई से पहले डीएपी उर्वरक की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने में विफल रहती है, तो वे विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे. संयुक्त मंच के नेता सरवन सिंह पंधेर ने चावल मिल मालिकों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के बारे में किसानों की चिंता व्यक्त की, जिससे मंडियों में धान की उठान बाधित होने का खतरा है. पंधेर ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चावल मिल मालिकों का आंदोलन जारी रहता है, तो किसानों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि मंडियों से कोई धान नहीं उठाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि पिछले साल डीएपी खाद के कई नमूने फेल होने से गेहूं की बुआई के दौरान किसानों को परेशानी हुई थी. पंधेर ने कहा कि हम मांग करते हैं कि सरकार डीएपी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करे और फसल कटाई का मौसम शुरू होने से पहले चावल मिल मालिकों की समस्याओं का समाधान करे. किसानों ने अमृतसर में डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर के बाहर धरना देने और शंभू बॉर्डर पर अपना विरोध प्रदर्शन तेज करने की योजना बनाई है. वे 22 सितंबर को पिपली में किसान महापंचायत में भी जुटेंगे.
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द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, समिति के माध्यम से बातचीत करने के सरकार के प्रयास के बारे में पंधेर ने पहल को अप्रभावी बताते हुए खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति को निर्देश दिया था कि वह किसानों को शंभू बॉर्डर खाली करने के लिए राजी करे ताकि यात्रियों की आवाजाही आसान हो सके. हालांकि, पंधेर ने कहा कि समिति के पास न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की उनकी प्रमुख मांग को संबोधित करने का अधिकार नहीं है.
उन्होंने तर्क दिया है कि यह एक शक्तिहीन समिति है जिसके पास MSP की सिफारिश करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि बातचीत तभी सार्थक होगी जब केंद्रीय मंत्री इसमें शामिल होंगे. एक अलग मुद्दे पर पंधेर ने मंडी की सांसद कंगना रनौत से हिमाचल प्रदेश के सेब किसानों की वकालत करने का आग्रह किया, जिनकी आय कीमतों में 40 फीसदी की गिरावट से प्रभावित हुई है. किसान सरकार से सेब की कीमतों को स्थिर करने और दूसरे देशों से सेब के आयात पर अंकुश लगाने की मांग कर रहे हैं.
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