चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर में तिलहन अनुभाग के प्रोफेसर डॉ. महक सिंहतोरिया रबी सीजन की प्रमुख तिलहनी फसल है, जो 75-90 दिन में तैयार होकर किसानों को जल्दी नकदी दे सकती है. इसी क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा विकसित तोरिया की प्रजाति आजाद चेतना (टीकेएम 142) पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और दिल्ली) के लिए अधिसूचित हुई है. कानपुर में तिलहन अनुभाग के प्रोफेसर डॉ. महक सिंह ने बताया कि केंद्रीय बीज समिति ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित आजाद चेतना प्रजाति को पांच राज्य के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि इस प्रजाति का विकास वर्ष 2022 में किया गया था. निदेशक शोध डॉ आरके यादव ने बताया कि तोरिया की आजाद चेतना किस्म अल्पावधि (90 से 95 दिन) की प्रजाति है. तेल प्रतिशत 42.2 से 42.4% है साथ ही यह प्रजाति अल्टरनेरिया ब्लाइट और व्हाइट रस्ट रोग के प्रतिरोधक क्षमता है. साथ ही इसकी औसत उपज 12.4 कुंतल प्रति हेक्टेयर है तथा सह फसली खेती हेतु अधिक उपयुक्त है.
डॉ. महक सिंह बताते हैं, किसान तोरिया की खेती सब्जियों के साथ मिश्रित खेती या फसल चक्र अपनाकर भी कर सकते हैं. तोरिया की जल्दी तैयार होने वाली फसल के साथ आलू की बुवाई करने से खेत का भरपूर उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं. तोरिया और मटर की फसल एक साथ लगाने पर नाइट्रोजन की पूर्ति होती रहती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि एक हेक्टेयर तोरिया की खेती में 12-15 हजार रुपये का खर्च आता है, जिसमें 10-12 क्विंटल उत्पादन होता है, जो 5500-6000 रुपये प्रति क्विंटल बिकता है.
प्रोफेसर डॉ. महक सिंह ने बताया कि तोरिया की बुवाई 30 सेंटीमीटर दूरी और 3 से 4 सेंटीमीटर गहराई वाली कतारों में करें. बुवाई के बाद हल्का पाटा जरूर लगाएं. वहीं 15 दिन में घने पौधों को हटाकर उनके बीच की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर कर देनी चाहिए. उन्होंने बताया कि 35 दिन के भीतर निराई-गुड़ाई करके खरपतवार नष्ट कर दें. बुवाई के 3 दिन में 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर पेन्डीमेथलीन 30% ईसी का प्रयोग करें. फूल और दाना भरने के समय अच्छी सिंचाई करनी चाहिए. तोरिया की बुवाई के 25-30 दिन की अवधि में पहली सिंचाई करना जरूरी है.
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