सरसों के फूल में फलियां नहीं बन रहीं, या पत्तियां मुड़कर गिर जाती हैं, तो तुरंत करें ये इलाज

सरसों के फूल में फलियां नहीं बन रहीं, या पत्तियां मुड़कर गिर जाती हैं, तो तुरंत करें ये इलाज

लाही सरसों का एक प्रमुख कीट है. लाही कीट पीला-हरा या काले भूरे रंग का मुलायम, पंखयुक्त और कभी-कभी बिना पंख का कीट होता है. इस कीट का वयस्क और शिशु कीट दोनों ही मुलायम पत्तियों, टहनियों, तनों, फूल के गुच्छों और फलियों से रस चूसते हैं.

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सरसों के फूल में फलियां नहीं बन रहीं, या पत्तियां मुड़कर गिर जाती हैं, तो तुरंत करें ये इलाजसरसों की खेती

खेतों में सरसों की फसल लहलहा रही है. फसल पर पीले फूल आ गए हैं. लेकिन इन फूलों से अधिक से अधिक फली कैसे ली जाए, किसानों को यह चिंता सता रही है. अगर आप भी इस फिक्र में हैं तो कुछ जरूरी बातों को अभी जान लेनी चाहिए. पहले तो आपको अपनी फसल की बराबर निगरानी करनी चाहिए. पत्तों को विशेष तौर पर देखते रहना चाहिए कि कहीं उसमें खराबी तो नहीं आ रही. कहीं सरसों की पत्तियां मुड़ या सिकुड़ तो नहीं रही हैं. अगर ऐसा लक्षण है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि यह कीटों के प्रकोप का लक्षण है.

दरअसल, सरसों पर सबसे अधिक कीटों का प्रकोप होता है. उसमें भी लाही और आरामक्खी सबसे खतरनाक होती है. इसलिए आपको हमेशा सरसों फसल को देखते रहना चाहिए. जैसे ही कीट के प्रकोप का लक्षण दिखे, आपको सावधान हो जाना चाहिए और तुरंत कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. ऐसे में हम आपको इन दोनों कीटों की पहचान और इससे बचाव का आसान तरीका बता रहे हैं. 

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लाही (Aphid) की पहचान  

यह सरसों का एक प्रमुख कीट है. लाही कीट पीला-हरा या काले भूरे रंग का मुलायम, पंखयुक्त और कभी-कभी बिना पंख का कीट होता है. इस कीट का वयस्क और शिशु कीट दोनों ही मुलायम पत्तियों, टहनियों, तनों, फूल के गुच्छों और फलियों से रस चूसते हैं. इससे प्रभावित पत्तियां मुड़ जाती हैं. फूल पर आक्रमण होने की स्थिति में फलियां नहीं बन पाती हैं. यह मधु जैसा पदार्थ भी निकालता है, जिस पर काले फफूंद उग जाते हैं. इसके कारण पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है.

लाही (Aphid) का नियंत्रण

  • फसल की बुआई समय पर करना चाहिए.
  • नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग अनुशंसित मात्रा में करें.
  • खेत को खर-पतवार से मुक्त रखें. 
  • खेत में प्रति हेक्टेयर 10 पीला फंदा का प्रयोग करना चाहिए.

नीम आधारित कीटनाशी एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम का 5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए. 

प्रकोप अधिक होने पर रासायनिक कीटनाशी के रूप में ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 ईसी एक मिली लीटर प्रति लीटर या मालाथियॉन 50 ईसी 1.5 मिली लीटर प्रति लीटर या इमिडाक्लोरपिड 17.8 प्रतिशत SL का 1 मिली लीटर प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

आरा मक्खी (Sawfly) की पहचान

यह सरसों के वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था का एक प्रमुख कीट है. वयस्क कीट नारंगी-पीले रंग और काले सिर वाले होते हैं. इसकी मादा का ओभीपोजिटर आरी के समान होता है, इसलिए इसे आरा मक्खी कहते हैं. इसके पिल्लू पत्तियों को काटकर क्षति पहुंचाते हैं. 

आरा मक्खी का नियंत्रण

  • फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई करना चाहिए, ताकि मिट्टी में उपस्थित इस कीट का प्यूपा मिट्टी से बाहर आ जाए और नष्ट हो जाए. 
  • नीम आधारित कीटनाशी एजाडिरेक्टिन 1500 पीपीएम का 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए. 
  • रासायनिक कीटनाशियों में फेनभेलरेट 0.5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा/ हे की दर से सुबह में भुरकाव करना चाहिए या ऑक्सीडेमाटॉन मिथाईल 25 ईसी का 1 मिली प्रति लीटर की दर से फसल पर छिड़काव करना चाहिए.
  • अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के ट्रॉल फ्री नं 18001801551 पर या अपने जिला के सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण से संपर्क कर सकते हैं.

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