दिल्ली के रहने वाले युवा इंजीनियर अर्पित धूपर ने देश में बढ़ते प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या को ध्यान में रखते हुए एक रिसर्च की. इसके बाद उन्होंने पराली का सदुपयोग करते हुए बायोडिग्रेडेबल सामग्री तैयार की, जिससे वो पैकेजिंग प्रोडक्ट बना रहे हैं. अर्पित धूपर ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि वो हरियाणा के फरीदाबाद में अपनी एक यूनिट में पराली और मशरूम कल्चर को मिलाकर एक ईको-फ्रेंडली थर्मोकोल बना रहे हैं. देखिए किसान तक संवाददाता अंकित शर्मा की ये रिपोर्ट.
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