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फसल में हुआ हो गुलाबी सुंडी का असर तो कपास का क्या करें किसान, ये रहा टिप्स

फसल में हुआ हो गुलाबी सुंडी का असर तो कपास का क्या करें किसान, ये रहा टिप्स

कपास की फसल को सबसे अधिक नुकसान गुलाबी सुंडी से होता है. गुलाबी सुंडी को कपास का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है क्योंकि यह कीट कपास का कोई हिस्सा नहीं छोड़ता. ऐसे में इस कीट से फसलों को बचाने के लिए आप ये टिप्स अपना सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि शुरुआत में हल्के कीटनाशकों व नीम आधारित उत्पादों का प्रयोग करें, जिससे मित्र कीटों पर बुरा असर न पड़े.

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गुलाबी सुंडी से कपास की फसल को कैसे बचाए गुलाबी सुंडी से कपास की फसल को कैसे बचाए

कपास की जिस फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप हुआ हो उसको घरों या खेतों के नजदीक गोदामों में स्टोर नहीं करना चाहिए. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने यह सलाह दी है. कपास मिलों व अनाज मंडियों, गोदामों के आसपास, बीज प्रसंस्करण प्लांट, बीज की दुकानों के पास फेरोमेन ट्रैप लगाने चाहिए. इनमें आए पतंगों को मार देना चाहिए. यह कार्य कपास की फसल के समय व उसके बाद वर्षभर करना चाहिए.गुलाबी सुंडी अधखिले टिण्डों में दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर भंडारित लकड़ियों में निवास करती है, इसलिए बनछटियों का प्रबंधन फसल में बौकी याडोडी निकलने से पहले ही अलग कर लेना चाहिए. 

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बनछटियों से टिण्डे एवं पत्ते झाड़कर नष्ट कर दें व मच्छरदानी से ढक दें ताकि पतंगे खेतों में न जाएं. कपास की चुनाई व बनछटियों लकड़ियों की कटाई आर्थिक लाभ की दर से जितना जल्दी हो सके, कर लेनी चाहिए. इसके लिए कपास की फसल में अंतिम सिंचाई सितंबर माह के अंत तक अवश्य कर दें. ऐसा करने से फसल में टिण्डों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. इसके अलावा गर्मियों में खेतों की गहरी जुताई करें. दरअसल गुलाबी सुंडी के प्रकोप से महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और तेलंगाना सहित सभी प्रमुख राज्यों के किसान परेशान हैं.

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गुलाबी सुंडी से कैसे होगा बचाव

  • गुलाबी सुंडी कपास की फसल के लिए काल है. इसके जीवनचक्र को तोड़ने के लिए फसलचक्र अपनाएं.
  • बहुत जल्दी कपास की बिजाई न करें व जल्दी आने वाले इक्का-दुक्का फूलों को तोड़कर नष्ट कर दें.
  • शुरुआत में हल्के कीटनाशकों व नीम आधारित उत्पादों का प्रयोग करें, जिससे मित्र कीटों पर बुरा असर न पड़े.
  • कीटनाशकों को आपस में मिलाकर न डालें. इनके प्रयोग से पहले नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों से सलाह अवश्य लें.
  • कपास के खेतों में गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी व नियंत्रण के लिए 2-3 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से अवश्य लगाएं. यह कार्य किसान समूह पूरे इलाके में करें.
  • कपास की अंतिम चुनाई के बाद खेत में बचे व अधखिले टिण्डों को नष्ट करने के लिए खेतों में भेड़-बकरी आदि पशुओं को चरने दें.
  • गुलाबी सुंडी के प्रकोप वाले क्षेत्रों से नए इलाकों में कपास की लकड़ियों को नहीं ले जाना चाहिए.
  • कपास की लकड़ियों को छाया में खेतों में इकट्ठा न करें. इन लकड़ियों को जमीन में पीटे/मारें ताकि इनमें छिपी गुलाबी सुंडियों को नीचे गिराया जा सके और लकड़ियों को जमीन पर लंबित खड़ा करके भंडारित करें.

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